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बीकानेर पापड़ का स्वाद हर किसी के की जीभ को ललचा मैं देता है। यह पी कहा जाए कि पापड़ को खाने के साथ पापड़ को ब्रांचा भी जाता है तो आश्चर्य करेंगे। यह अनूठी परम्परा पुष्करणा ब्राह्मण समाज के विवाह आयोजन की मांगलिक रस्म ‘खिरोड़ा’ में होती है। इसमें पापड़ पढ़े जाते है। महिलाएं शुभ मुहूर्त में बड़ पापड़ तैयार करती है। इनको ‘कुमकुम से चित्रकारी से सजाती भी हैं। रमक झमक संस्था अध्यक्ष प्रहलाद ओझा भैरु के अनुसार खिरोड़ा में यह महत्वपूर्ण रस्म है।

दशकों पुरानी परम्परा

92 वर्षीय बुजुर्ग कन्हैया लाल ओझा बताते है कि पापड़ बांचने की परम्परा प्राचीन है। खिरोड़ा की रस्म में वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष को राशन सामग्री, वस्त्र आदि सामग्री देने की रस्म होती है। इसी के साथ : पापड़ भी दिए जाते है। इसे बड़ पापड़ के नाम से जाना जाता है। खिरोड़ा में पापड़ देने और बांचने की परम्परा दशकों से चली आ रही है।

व्यास छह इंच

मूंग बेसन में साजी, हींग, जावत्री, जायफल, नमक से पापड़ तैयार होते है। इन गोलाकार पापड़ों की कोरनी की कटिंग की जाती है। बृजेश्वर लाल व्यास के अनुसार इनका के आकार छह इंच होता है।

वर पक्ष के यहां बजते हैं पापड़

विवाह की रस्मों में वधू पक्ष की ओर से खिरोड़ा वर पक्ष के यहां पहुंचाया जाता है। वर पक्ष के यहां पूजन कार्यक्रम सम्पन्न होते है। गोत्राचार होता है। खिरोड़ा सामग्री में शामिल बड़ पापड़ को वर-वधू पक्ष के लोग पारम्परिक दोहो का गायन कर पापड़ बांचते हैं।

पारम्परिक दोहे

बांचने के दौरान पारम्परिक दोहों का गायन होता है। ‘पापड़ पापड़ हद बण्या, मोय मोकळी हींग, सवा लाख री बींदणी, सवा लाख रो बींद’, ‘पापड़ तो चोखा बण्या मोय मोकळी साजी आदि।

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