बीकानेर,ग्लोबल लोकेशन टेक्नोलॉजी की 80 लाख से अधिक आबादी वाले दुनिया के 404 शहरों में ट्रैफिक जाम की रिपोर्ट हमारे लिए इसलिए भी चिंताजनक है, क्योंकि शीर्ष 21 शहरों में भारत के चार शहर भी शामिल हैं। मुम्बई और बेंगलूरु तो ऊपर के दस शहरों में शामिल हैं। मुम्बई पांचवें और बेंगलूरु दसवें स्थान पर हैं। दिल्ली का स्थान भवां है और पुणे 21वें स्थान पर है। ट्रैफिक जाम की स्थिति का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि मुम्बई में इसके कारण हर साल एक व्यक्ति के औसत 121 घंटे बर्बाद हो जाते हैं। बेंगलूरु व दिल्ली में खराब होने वाले घंटों की संख्या 110-110 है और पुणे में एक साल में औसतन 96 घंटे व्यक्ति सड़क पर जाम में व्यर्थ कर देता है।
समस्या सिर्फ 80 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में ही नहीं है, बल्कि इससे कम जनसंख्या वाले शहरों में भी यह समस्या विकराल रूप ले रही है। कह सकते हैं कि भीड़ के कारण लोगों का समय यूं ही जा रहा है। इतना अधिक समय व्यर्थ चला जाना करोड़ों लोगों का व्यक्तिगत ही नहीं, राष्ट्रीय नुकसान है। इस नुकसान को सिर्फ समय की बर्बादी तक सीमित नहीं माना जा सकता। घंटों की बर्बादी के इस सूचकांक के कई निहितार्थ हैं। एक यह कि आबादी के अनुपात में यातायात और परिवहन के लिए आधारभूत संरचनाओं के विकास के मोर्चे पर हम विफल हैं। असल में इस तरफ गंभीरता से ध्यान ही नहीं दिया जा रहा समस्या यह है कि सार्वजनिक परिवहन के साधन बढ़ाने का काम अपेक्षा इसी में देश का भला है। और जरूरत के अनुरूप नहीं हो रहा है। कई शहरों में तो आबादी से अधिक वाहन हो गए हैं। पुलिस और प्रशासन का यातायात नियंत्रण पर भी ध्यान नहीं है। फिर सड़क पर जाम कैसे नहीं लगेगा? नई सड़कें, ओवर व अंडरब्रिज भी पर्याप्त संख्या में नहीं बन रहे हैं। ट्रैफिक सिग्नल के मोर्चे पर भी बहुत काम करने की जरूरत है। आबादी के अनुरूप व्यवस्थाओं के विकास के मामले में गहन व गंभीर सोच के अभाव का असर ट्रैफिक जाम के रूप में नजर आ रहा है। इससे निश्चित तौर पर स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, जल, जंगल, पर्यावरण, रोजगार जैसे जीवन के लिए जरूरी अन्य पहलू भी प्रभावित हो रहे हैं। इसका यह अर्थ है कि एक बार आबादी के अनुरूप आधारभूत ढांचे के विकास के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से काम शुरू हो जाए, तो समस्त पहलू सुधर जाएंगे। समय पर योजनाएं बनेंगी, उनका क्रियान्वयन होगा और इनका लगातार उन्नयन होता रहेगा। तब जीवन सुगम व सुचारू हो जाएगा, लोगों का समय बचेगा। इसी में देश का भला है।