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बीकानेर,सोजत प्रज्ञालय संस्थान द्वारा सोजत से आए वरिष्ठ शायर एवं बाल साहित्यकार अब्दुल समद राही के सम्मान में एक परिसंवाद का आयोजन सृजन-सदन नालन्दा परिसर में किया गया। राजस्थानी साहित्य और चुनौतियां विधेयक परिसंवाद के मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए साहित्यकार अब्दुल समद राही ने कहा कि राजस्थानी साहित्य आज अनेक तरह की समस्याओं का सामना कर रहा है। इसमें प्रमुख रूप से प्रकाशन एवं राजस्थानी पुस्तक खरीद की समस्या महत्वपूर्ण है। परिसंवाद का अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि कथाकार आलोचक कमल रंगा ने कहा की आज राजस्थानी साहित्य कई स्तर पर अनेक चुनौतियों से सामना कर रहा है। खास तौर से गत 8 वर्षो से राजस्थानी अकादमी का संवैधानिक गठन न होना साथ ही राज्य सरकार की पुस्तक खरीद नीति में कम से कम 50 प्रतिशत राजस्थानी पुस्तकों की खरीद न करना राजस्थान में एक दुखद पहलू है। साथ ही राजस्थानी साहित्यकार अपनी मातृ भाषा की मान्यता न मिलने की चुनौतियों से भी रूबरू हो रहे है। जिसका सीधा असर राजस्थानी की सृजन धारा पर हो रहा है।युवा शायर कथाकार कासिम बीकानेरी ने कहा को राजस्थानी साहित्य और उसका साहित्यकार अनेक चुनौतियों के साथ वर्षों से संघर्षरत है।

राजस्थानी भाषा को नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा का माध्यम बनाना साथ ही राज्य की विज्ञापन व अन्य प्रचार सामग्री में राजस्थानी का उपयोग होना चाहिए। ताकि हर बात जन-जन तक पहुंचे। इतिहास विद् डॉ फारूख चौहान ने कहा कि राजस्थानी विषय स्कूलों और महाविद्यालयों में खोले जाए। जिससे पाठ्यक्रम के माध्यम से राजस्थानी साहित्य को महत्व मिलेगा। कवि गिरिराज पारीक ने कहा की राजस्थानी साहित्य और उसकी संस्कृति के लिए अलग से बजट प्रावधान और मंत्रालय हो तो राजस्थानी साहित्य का महत्व और अधिक होगा। युवा शिक्षाविद् राजेश रंगा ने बताया की राजस्थानी साहित्य और उसकी परंपरा हमारी समृद्ध धरोहर है इसके लिए केन्द्र में राज्य सरकार द्वारा विभिन्त तरह की योजनाओं के माध्यम से कार्य प्रारंभ करवाना चाहिए। ताकि नई पीढ़ी अपनी विरासत से रूबरू हो सके। परिसंवाद में हरिनारायण आचार्य भवानी सिंह, माजिद खां, मदन गोपाल व्यास, बी.डी. भादाणी सहित सहभागियों ने कहा कि राजस्थानी लोक साहित्य के लिए प्रदेश में लोक साहित्य अकादमी का गठन होना चाहिए।

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