बीकानेर,राजस्थान के बीकानेर से लगातार 3 बार के सांसद और केंद्रीय संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को भाजपा ने यूपी विधानसभा चुनाव के मोर्चे पर लगाया है। उत्तर प्रदेश के सह चुनाव प्रभारी के तौर पर मेघवाल, खासतौर से दलित बहुल इलाकों में भाजपा के जनाधार को बढ़ाने के लिए कैम्पेनिंग कर रहे हैं। उनसे विभिन्न मुद्दों पर बातचीत करते मेघवाल का मानना है कि बसपा के वोटबैंक के बड़े हिस्से को साथ लाने में भाजपा सफल हुई है। इसलिए यूपी में 300 से ज्यादा सीटें जीतकर फिर से भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार बनने जा रही है।
यूपी चुनाव में शीर्ष नेताओं के तीखे बयानों से भाजपा पर ध्रुवीकरण का आरोप लग रहा है?
हमने नहीं, अखिलेश यादव ने ध्रुवीकरण की शुरुआत की। जिन्ना की बात को चुनाव में लाने की क्या जरूरत थी? अखिलेश को लगा कि ओवैसी साहब चुनाव में आ गए हैं, तो कहीं वोट बिखर न जाएं। इसलिए, जान बूझकर जिन्ना को बीच में लाए। उन्होंने वोला तो भाजपा को भी जवाब में कुछ बोलना पड़ा।
मुजफ्फरनगर के दंगे और पलायन की बात को बार-बार उठाने पर विपक्ष का कहना है कि धर्म विशेष को भाजपा टारगेट कर रही है…
कैराना में पलायन किसका हुआ? हिंदुओं का हुआ। जब कैराना के लोग खुद कह रहे कि गुंडों से मुक्ति मिली और पलायन रुक गया तो हम इसकी चर्चा करेंगी ही। पलायन रुकना, गुड गवर्नेस में आता है। तो पलायन के मुद्दे पर बात करने में ध्रुवीकरण और तुष्टीकरण कहां से आया? योगी सरकार ने गुड गवर्नेस दी, इसलिए गुंडे या तो जेल में या बेल पर हैं, या फिर सपा की लिस्ट में है।
क्या,बसपा के वोटबैंक में भाजपा सेंधमारी करने की ताक में है?
2014 के चुनाव में दलित वोट हमें मिले होंगे,तभी तो मायावती की ताकत घटी। 2019 में बसपा की ताकत और घटी। मोदी सरकार की नीतियों के कारण दलित समाज का भाजपा पर भरोसा बढ़ता ही जा रहा है। इस बार •भाजपा को पहले से भी ज्यादा दलित वोट मिलेंगे।
सपा की तुलना में बसपा पर भाजपा कम हमलावर है। क्या बसपा को कमजोर दिखाने में भाजपा की कोई रणनीति छिपी है
देखिए,जो मैदान में होता है, उसी से लड़ाई लड़ी जाती है। हमने यात्रा निकाली तो अखिलेश ने भी यात्रा निकाली। लेकिन, बहनजी ने कोई यात्रा नहीं निकाली। मायावती बाहर नहीं निकलीं। अभी उनकी दो ही सभाएं हुई। इससे दलित मतदाता खुद को ठगा महसूस कर रहा है।
पश्चिम यूपी में भाजपा से जाट नाराज बताए जाते हैं?
जाट भाजपा से नहीं, सपा से नाराज हैं। जब उन्होंने (जाट) टिकटों को देखा, तो हमने (भाजपा) ज्यादा दिए।
राजस्थान में रीट परीक्षा प्रश्न-पत्र लीक का मुद्दा छाया है,इस तरह के भ्रष्टाचार की वजह क्या है?
देखिए,जो भर्ती करने वाली संस्थाएं हैं, कांग्रेस राज में उनमें पॉलिटिक्स घुस गई। जब ऐसी संस्थाओं में पॉलिटिक्स घुसेगी, तो भ्रष्टाचार स्वाभाविक है। कांग्रेस का कल्चर है कि अपने आदमी को ही भर्ती बोर्ड का चेयरमैन या मेंबर बनाए जाते हैं। इस मामले को उठाने पर हमारे प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया पर हमला हो गया।
राजस्थान में 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा में भी गुटबंदी दिखती है। क्या नेतृत्व को लेकर कोई संकट है?
कोई संकट नहीं है। राजस्थान में नेतृत्व का निर्णय, भाजपा संसदीय बोर्ड करेगा। हमारे यहां पार्टी ने लोकतान्त्रिक तरीके से व्यवस्था बनाई है। इस तरह के निर्णय लेने के लिए हमारे यहां संसदीय बोर्ड है, जो चर्चा के बाद उचित निर्णय लेता है। इस बार राजस्थान में भाजपा की सरकार बनेगी।
राजस्थान में बढ़ते अपराध पर भाजपा मुखर है। क्राइम कंट्रोल का आपकी नजर में फार्मूला क्या है?
राजस्थान में दो खेमों में सरकार बंटी है। अफसर भी बंटे हैं। इससे कानून-व्यवस्था चौपट है। गहलोत जी, गृहमंत्री तो दे दो! गृहमंत्री नहीं दे सकते, तो कुर्सी छोड़ दो! गृहमंत्री, गहलोत खेमे का होगा या सचिन पायलट के खेमे का होगा, इस लड़ाई में गृहमंत्री नहीं बन पा रहा है। इसलिए गृह विभाग सीएम ने अपने पास रखा है।
अयोध्या, काशी के बाद मथुरा एजेंडे को क्या भाजपा धार दे रही है?
हमने काशी को भव्य बनाया तो अवश्य इसकी बात करेंगे। हम मथुरा क्षेत्र का विकास करना चाहते हैं, तो हम उसकी बात करेंगे। राम मंदिर का निर्माण आपके (अखिलेश) काल में हो जाता, तो आप भी करते। हमारे काल में निर्माण हो रहा है, तो हम राम मंदिर की बात करेंगे।