बीकानेर में नगर विकास न्यास (यूआईटी) के अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर रस्साकसी का दौर जारी है। तीन साल गुजर जाने के बाद भी गहलोत सरकार अध्यक्ष पद पर एक अदद चेहरे पर अपना मन नहीं बना सकी है। लेकिन, अब नियुक्ति का दिन नजदीक ही बताया जा रहा है। इसके साथ ही दावेदारों ने भी जयपुर से दिल्ली तक अपने–अपने घोड़े दौड़ाने शुरू कर दिए है। सब जानते हैं कि न्यास अध्यक्ष की नियुक्ति शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। डॉ.कल्ला बीकानेर शहर कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति के मामले में मात खा गए थे, लेकिन अब वे न्यास अध्यक्ष के लिए पूरी जोर आजमाइश कर रहे हैं। वे हर हाल में अपने चहेते को इस कुर्सी पर काबिज कराने के लिए डटे हैं।
ताजा खबर तो यह भी है कि सीएम ने न्यास अध्यक्ष के लिए उनसे तीन नाम भी लिए हैं। हालांकि, डॉ.कल्ला किसी एक नाम पर ही अड़े हुए हैं। सब जानते हैं कि न्यास अध्यक्ष वही बनेगा, जिस पर सीएम अशोक गहलोत का “हाथ” होगा। इसके बावजूद मंत्री डॉ. कल्ला अपने चहेते को लेकर सीएम के समक्ष मजबूत पैरवी कर रहे हैं।
आपको बता दें कि न्यास अध्यक्ष पद पर वैश्य और मुस्लिम वर्ग की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। इसके अलावा ओबीसी और अन्य वर्ग की दावेदारी भी कम नहीं है। वैश्य समाज से रमेश कुमार अग्रवाल (कालू), सुशील थिराणी, कन्हैयालाल झंवर, प्रमोद खजांची, मुस्लिम वर्ग से मकसूद अहमद, मोहम्मद हारून राठौड, इकबाल समेजा, पंजाबी समाज से अरविंद मिढडा के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं। इनमें से हालांकि मकसूद अहमद पूर्व में न्यास अध्यक्ष रह चुके हैं, ऐसे में उन्हें अबकी बार अन्य जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। लेकिन, वे रेस में है। मकसूद अहमद सहित अन्य दावेदारों में से मंत्री डॉ. कल्ला की खास पसंद कौन है? इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में कयासों का दौर तेज हो गया है। बहरहाल, हाल के दिनों में न्यास अध्यक्ष पद पर कन्हैयालाल झंवर का नाम खबरों की सुर्खियां बन रहा है। झंवर, पिछला विधानसभा चुनाव बीकानेर पूर्व क्षेत्र से हार गए थे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें न्यास अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप कर बाद में अगले चुनाव में उन्हें मौका देकर यह सीट निकाल सकती है। बताते हैं कि झंवर के नाम पर रामेश्वर डूडी भी तैयार है। लेकिन, कांग्रेस की यह रणनीति उलटी भी पड़ सकती है। पिछले चुनाव में झंवर को टिकट दिए जाने पर भी बाहरी प्रत्याशी के नाम पर खूब हंगामा मचा था। अब जैसे ही न्यास अध्यक्ष पर उनका नाम सुर्खियों में आया तो उनके विरोधी अभी से बुदबुदाने लगे है। हालांकि, खुले तौर पर अभी कोई कांग्रेस नेता सामने नहीं आ रहे हैं लेकिन अंदरखाने में हलचल जरूर मची हुई है। लिहाजा झंवर की दावेदारी कहीं न कहीं कमजोर भी दिखाई पड़ती है। इधर, मंत्री डॉ. कल्ला किसी हाल में झंवर की एंट्री नहीं होने देंगे। वे अपनी राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए ही इस पद पर अपने चहेते को लाने के लिए जुटे हुए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इसमें कितने कामयाब होते हैं।