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बीकानेर:बीकानेर राज परिवार को की गणगौर की साईं सवारी के दर्शन जूनागढ़ में चौथीना कुआं तक की होते थे लेकिन अब रेल यात्री रेलवे स्टेशन पर भी इन मनोरम दृश्य का सिल्क कल्चर के तहत फाइबर से बनाई गई मूर्तियों के माध्यम से कर सकेंगे इसके अलावा इसके लिए वेटिंग हॉल में 10 गुना 60 फीट आकार में गणगौर की शाही सवारी के मनोरम दृश्य को चटकीले रंगों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है मूर्तिकार रुचिका जोशी के नेतृत्व में उनकी टीम इस कार्य को पूरा करने में जुटी हुई है वहीं राजस्थान में प्रेम के प्रतीक के रूप में कृष्ण मीरा रामू चंदना मूमल महेंद्र और ढोला मारू की मूर्तियों मूर्तियां भी प्लेटफार्म पर तैयार की गई है जो रेलवे स्टेशन आने जाने वाली वाले यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी करीब 5 माह की मेहनत से इन मूर्तियों को फाइबर की मदद से कलात्मक रूप से बनाया गया है झरोखे से जागती महिलाएं शहर की रियासत कालीन परंपरा शाही गणगौर सवारी को पारंपरिक रूप से बनाया गया है मूर्तिकार रुचिका के अनुसार शाही गणगौर की झांकी मैं बैग्राउंड मैं जूनागढ़ दिखाया गया है

https://youtu.be/tPvzj4urklY

 

 

 

 

वही सवारी को झरोखे से झांकती महिलाओं भी दिखाई गई है महिलाएं गणगौर सवारी को निहार रही है सवारी की झांकी में पुरुष चंग और बांसुरी बजाते हैं दिखाए गए हैं ढोला मारू और रामू चनणा राजस्थान में प्रेम के प्रतीक के रूप में कृष्ण मीरा रामू चानना ढोला मारू और मूमल महेंद्र प्रसिद्ध रहे हैं रुचिका ने बीकानेर प्लेटफार्म पर रिलीफ कल्चर के माध्यम से इन प्रेम के प्रतीक रूप की मूर्तियों को पारंपरिक रूप से तैयार किया है यह हर किसी आकर्षण का केंद्र बनेंगे रुचिका के अनुसार फाइबर से बनी मूर्तियां रिपेयरेबल है रुचिका इस कार्य के लिए रेलवे डीआरएम संजय श्रीवास्तव से मिले सहयोग और मार्गदर्शन को भी महत्वपूर्ण बताती है हेरिटेज वाकऑफ व संविधान बुक प्रसिद्ध रुचिका इससे पहले रेलवे स्टेशन के बाहर वकआउट हेरिटेज तथा एमजीएसयू के संविधान पारक में मेटल से संविधान बुक तैयार कर चुकी है रुचिका के अनुसार म्यूजियम सर्किल पर कैमल वेस्ट पब्लिक भारत मैं गुमटीओ के ऊपर मोर तथा हल्दीराम प्याऊ के पास गडरिया मूर्तियों का निर्माण फाइबर के माध्यम से कर चुकी है

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