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बीकानेर। बीकानेर अपनी कला और संस्कृति के बारे में जाना जाता है। और यहां पर अपनी कला से भी लोग सभी का मन मोह लेते है। बीकानेर की 13 साल की कम उम्र में ही तमन्ना ने भी मुहिम छेड़ी उसी के तहत अब तमन्ना कम समय के अंदर कई तरह के साफे बांध देती है। अपने पिता को साफा बांधते देखकर उसके मन मे आया कि वो भी साफा बांधे। अपनी बच्ची की ख्वाईश को पूरा कर ने के लिए पिता मुमताज ने उसे साफा बांधना सिखाया और 15 दिन में तमन्ना अब अलग अलग तरह के साफे आंख पर पट्टी बांधकर बना देती है। तमन्ना का कहना है कि लड़कियां भी हर काम को कर सकती हे। इसके साथ ही राजस्थान के कल्चर को सभी जगह पहुंचाने के लिए उन्होंने साफा बंधना सीखा है राजस्थान में कलाकारों की कमी नही है। और अपने कल्चर को सभी के सामने पहुंचाने के लिए ये कलाकार बहुत मेहनत भी कर रहे है। बीकानेर की 13 साल की तमन्ना 1 मिनेट में ही अलग अलग तरह के साफे बांध लेती है। जिस उम्र में खेलने की तमन्ना बच्चो में होती है वहा पर तमन्ना अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। तमन्ना के पिता बताते है कि बच्ची की खवाइश थी कि वह भी साफा बंधे और उसकी इस तमन्ना को को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है

https://youtu.be/wj_IvdndALU

 

 

 

राजस्थान की गंगाशाही जोधपुरी शेखावाटी जैसलमेरी गुजराती मेवाड़ी पाग बांधती है आने वाले समय में तमन्ना की तमन्ना है कि वह राजस्थान की विभिन्न तरह की पगड़ीया हाथ की अंगुलियों पर बांधना सीखें तमन्ना बीकानेर जिले कि महारानी किशोरी देवी स्कूल में अध्ययनरत है करोना काल में स्कूली शिक्षा से वंचित रहने के कारण अपने पिताजी से यह हुनर सीखा यह हुनर इनके परिवार से पीढ़ियों से परंपरागत रूप से चला रहा है इस सांस्कृतिक कला को आगे बढ़ाने के लिए तमन्ना ने यह हुनर अपने पिता जी से सीखा है तमन्ना ने बताया है साफा सीखना शुरुआत में थोड़ा कठिन लगा बाद में सब परिस्थिति नॉर्मल हो गई वह चाहती है कि महिलाएं वह लड़कियां इस काम में आगे आए तमन्ना ने बताया है की ऐसा कोई काम नहीं है जो की सिर्फ पुरुष ही कर सके वह काम महिलाएं भी कर सकती है तमन्ना ने बीकानेर ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान को गौरवान्वित किया है तमन्ना ने बताया है की राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए वह सांस्कृतिक कला को बढ़ावा देने के लिए यह हुनर उसने अपने पिताजी से सीखा इनके पिताजी आप मुमताज अली मीर जो इनकी पुत्री तमन्ना मीर अंतर्राष्ट्रीय ऊंट महोत्सव में कई बार प्रदर्शन कर चुकी है

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