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जोधपुर जैसलमेर के कई सरहूदी गांवों में परिजन से संवाद का जरिया आज भी चिट्ठी-पत्र या आवाजाही ही है। मोबाइल यहां काम नहीं करते हैं. बांसवाड़ा के कई इलाकों में सरकार ने बच्चों को नामी कोचिंग संस्थाओं से पढ़ाई की सुविधा दी लेकिन नेटवर्क के अभाव में लाभ नहीं मिल रहा सिरोही जिले के उपलाखेड़ा गांव में तो सांसद की मौजूदगी में मोबाइल टॉवर भी लगा दिया, लेकिन आसपास के दर्जनों गांव में मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता। यह बानगी राज्य के उन इलाकों की है, जहां न तो मोबाइल काम करता है और न ही दूर-दूर तक इंटरनेट से कोई लेना-देना है। रेकॉर्ड में भी प्रदेश में 941 गांव, 53 जनजाति गांव-ढाणी मोबाइल सेवा से वंचित हैं।

सरहदी गांवों में अभी तक चिट्ठी से संदेश

भारत-पाक सीमा के पास दर्जनों गांवों के लोग एक दूसरे का हाल मोबाइल से नहीं पाते हैं, क्योंकि यहाँ नेटवर्क नहीं है। अपनों की कुशलता पूछने के लिए चिट्ठी- पत्री या आवागमन ही यहां जरिया है धोरों के पास बसे म्याजलार, करड़ा, पोछीना, गुंजनगढ़, लूणार, बीजराज का तला, सत्तो, केरला, मिठड़ाऊ, केसरसिंह का तला, दव, हटार, दबड़ी, मसूरिया, फलेड़ी, बीदा, नीम्बा, बैरसियाला, घाणेली, छतागढ़, विश्रोईयाला आदि गांवों में इस तरह के हालात हैं।

आदिवासी क्षेत्र में पढ़ाई को तरसे बच्चे

कई गांव-ढाणियों में इंटरनेट कनेक्टिविटी सुचारू नहीं होने से बच्चे ऑनलाइन शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं। कोरोना के चलते ऑनलाइन पढ़ाई में ऐसे इलाकों के बच्चों को सर्वाधिक परेशानी होती है। बांसवाड़ा जिले में कुछ प्रतिभाशाली बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक नामी कोचिंग संस्थान से राज्य सरकार ने लाभान्वित किया। संस्थान ने बच्चों को • अध्ययन सामग्री भी भिजवादी, लेकिन अब नेटवर्क के अभाव में बच्चे लाभ ही नहीं ले पा रहे हैं।

नेटवर्क से वंचित गांव

सिरोही जिले में आबूरोड तहसील के दर्जनों गांव-ढाणी में आदिवासी परिवारों के पास मोबाइल जरूर हैं, जो केवल शहर जाने पर ही काम करते हैं। गांवों में मोबाइल खिलौने मात्र हैं। कुछ वर्ष पूर्व केंद्र सरकार ने बीएसएनएल का टावर उपलागढ़ में सांसद देवजी पटेल की मौजूदगी में शुरू किया था। इसकी सुविधा केवल उपलागढ़ व आसपास के एक दो फलियों में ही मिल पाती है। जाम्बुड़ी, मीन तलेटी, बोसा, बोरीभूज, उपलाखेजड़ा, निचालगढ़, निचलाखेजड़ा समेत भाखर क्षेत्र के कई गांवों में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा नहीं है।

जनजातीय सीमावर्ती है। केन्द्रीय संचार मंत्री से नेटवर्क सुविधाओं से वंचित गांव-ढाणियों और कम स्पीड को लेकर चर्चा हुई।

राजेन्द्र गहलोत, राज्यसभा सांसद

ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक कई सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन मोबाइल व नेटवर्किंग की पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने से गांव ढाणी के बच्चे सर्वाधिक परेशान हैं। वहां सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से घर पर अध्ययन कराते हैं।

प्राची गौड़, सीईओ व फाउंडर, रिमॉकेबल एजुकेशन

 

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