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जयपुर किसानों की भूमि नीलामी मामले में राजभवन और मुख्यमंत्री कार्यालय जिस संशोधन बिल को लेकर आमने-सामने हुआ था, उसे राज्यपाल कलराज मिश्र ने 15 महीने बाद राष्ट्रपति से मंजूरी लेने के लिए भेजने को स्वीकृति दी है।

अब किसानों की पांच एकड़ तक की भूमि को नीलामी मुक्त रखने के लिए सीपीसी एक्ट (सिविल प्रक्रिया संहिता 1908) के तहत पारित संशोधन बिल पर राष्ट्रपति की स्वीकृति का इंतजार रहेगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राज्यपाल ने विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए उसे राज्य सरकार के पास भेज दिया है और अब जल्द ही इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। यदि इस बिल को राष्ट्रपति मंजूरी दे देते हैं तो राजस्थान में वाणिज्यिक बैंक कृषि ऋण नहीं चुकाने पर पांच एकड़ तक की कृषि भूमि को नीलाम नहीं कर सकेंगे।गौरतलब है कि केन्द्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों के बाद राज्य सरकार नवम्बर, 2020 में विधानसभा में सीपीसी एक्ट में संशोधन का बिल लेकर आई थी। केन्द्र ने तीन कृषि बिल वापस ले लिए, लेकिन राज्य सरकार की ओर से लाए गए बिलों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई। हाल ही राजभवन की ओर से कहा गया था कि रोडा एक्ट के तहत कोई संशोधित बिल नहीं मिला है। इस विवाद के दौरान मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्थिति स्पष्ट की थी।

अभी यह है प्रावधान

वर्तमान में सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 60 में कुछ छूट दी हुई हैं। इसके तहत किसान के ऋण नहीं चुकाने की स्थिति में जीविकोपार्जन के लिए दूध देने वाले पशु, खेती के उपकरण, ऐसे पशु और बीज, जो जीविका उपार्जन के लिए जरूरी हैं। कृषि उपज समेत अन्य जीविकोपार्जन की चीजों की नीलामी नहीं की जा सकती।

यह संशोधन हुआ

राज्य की कांग्रेस सरकार नवम्बर 2020 में सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 60 में संशोधन लेकर आई थी। यह अधिनियम यों तो केन्द्र सरकार की ओर से पास किया हुआ है, लेकिन राज्य सरकार चाहें तो इसमें संशोधन कर अपने राज्य में लागू कर सकती हैं। इसी आधार पर यह संशोधन विधेयक सरकार विधानसभा में लेकर आई थी।

सीएम को देने पड़े थे नीलामी रोकने के निर्देश

कुछ जिलों में व्यावसायिक बैंकों ने कृषि ऋण नहीं चुकाने के कारण किसानों की कृषि भूमि की नीलामी और कुर्की शुरू की। विरोध के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 20 जनवरी को नीलामी और कुर्की पर रोक लगाने के निर्देश दिए।

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