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बीकानेर, किसानों की जमीन नीलामी प्रक्रिया के विरोध के बीच राजभवन और राज्य सरकार एक बार फिर आमने-सामने हो गए हैं। राज्य सरकार की ओर से लगातार आरोप लगाए जा रहे थे कि 5 एकड़ तक की कृषि भूमि की नीलामी रोकने संबंधी बिल राज्यपाल कलराज मिश्र ने बिल रोक रखा है।

राजभवन की ओर से जारी अधिकृत बयान

सोमवार को राजभवन सचिवालय ने कहा कि रोडा एक्ट से संबंधित संशोधन बिल अनुमोदन के लिए राजभवन भेजा ही नहीं गया। राजभवन सचिवालय की ओर से सोमवार को अधिकृत बयान में कहा गया है कि रोडा एक्ट के संशोधन से संबंधित कोई भी विधेयक राजभवन में राज्यपाल स्तर पर अनुमोदन के लिए नहीं आया है। राज्यपाल के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार ने बताया कि इस संबंध में ज्ञापन देने आए प्रतिनिधि मंडल को भी अवगत करा दिया है।विधानसभा से पारित कर राजभवन भेजा, अधिकारियों ने राज्यपाल को गलत जानकारी दी

सत्य यह है कि बिल राजभवन में विचाराधीन है सीएमओ

जयपुर, राजभवन सचिवालय के कृषि संशोधन विधेयक संबंधी आधिकारिक बयान के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से भी बयान जारी किया गया। इसके बाद किसान कर्जमाफी व कुछ जिलों में बैंकों की ओर से की जा रही कृषि भूमि की नीलामी की प्रक्रिया को लेकर राजनीति और तेज हो गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय से बयान जारी किया गया कि संबंधित कृषि संशोधन विधेयक राजभवन के स्तर पर ही लंबित है।

कहा गया कि सत्य यह है कि राजस्थान सरकार ने 2 नवंबर 2020 को दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 60 (1) (ब) के तहत संशोधन किया था। यदि राजभवन इसका अनुमोदन कर जा रही कृषि भूमि की नीलामी की देता तो 5 एकड़ जमीन पर कृषि ऋण प्रक्रिया को लेने पर उसकी कुर्की या नीलामी पर लेकर रोक लग जाती। परन्तु यह बिल अभी तक राजभवन में विचाराधीन है।

20 जनवरी को सीएम गहलोत ने ये कहा था

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि ऋण न चुका पाने के कारण रोडा एक्ट के तहत व्यावसायिक बैंकों की ओर से किसानों के भूमि की नीलामी की जा रही है।

हमारी सरकार ने 5 एकड़ तक कृषि भूमि वाले किसानों की जमीन नीलामी पर रोक का बिल विधानसभा में पास किया था, लेकिन अभी तक राज्यपाल की अनुमति नहीं मिलने के कारण यह कानून नहीं बन सका है। मुझे दुख है कि इस कानून के नहीं बनने के कारण किसानों की जमीन नीलाम होने की नौबत आई।

 

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