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जयपुर, राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने चार लाख 35 हजार करोड़ के कर्जभार से जूझने के बावजूद मंत्रियों के लिए 30 नई एसयूवी गाड़ियां खरीदीं हैं। मंत्रियों के लिए खरीदी गई गाड़ियों से सरकारी खजाने पर आठ करोड़ 10 लाख रुपये का भार पड़ेगा प्रत्येक गाड़ी की कीमत 27 लाख रुपये है। मंत्रियों के पास वर्तमान में सफारी और इनोवा गाड़ियां हैं। मोटर गैराज विभाग इन गाड़ियों की समय-समय पर सर्विस करता है। गाड़ियों की स्थिति ठीक है, लेकिन मंत्रियों की मांग थी कि उन्हें नई गाड़ियां उपलब्ध करवाई जाएं, क्योंकि मौजूदा गाड़ियां पुरानी हो चुकी हैं। उन्हें दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होता है। कई बार गाड़ियां खराब हो जाती हैं। नई गाड़ियों के लिए मंत्री लगातार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दबाव बना रहे थे। ऐसे में सामान्य प्रशासन विभाग ने महिंद्रा की 30 अल्टुरस गाड़ियां खरीदी हैं। पुरानी गाड़ियों का क्या किया जाएगा, इस बारे में सरकार ने फिलहाल निर्णय नहीं लिया है। अधिकांश पुरानी गाड़ियां दो लाख किलोमीटर तक चल चुकी हैं।

मंदी की मार, मौज में सरकार

नई गाड़ियां खरीदे जाने से मंत्री खुश हैं। नई गाड़ियों की खास बात यह है कि इनकी ऊंचाई 2.44 एमएम है, जो सफारी और इनोवा से ज्यादा है। इन गाड़ियों चारों गियर एक साथ काम करते हैं। इसके साथ ही छह एयरबेग हैं, जो किसी भी तरह की दुर्घटना में बचाव के लिए सहायक सिद्ध हो सकते हैं। पिछले दो साल से कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकार के राजस्व में काफी कमी आई है। चिकित्सा सहित अन्य क्षेत्रों में खर्चा बढ़ा है। आर्थिक संकट के चलते सरकार ने अधिकारियों की विदेश यात्राओं पर पिछले साल ही रोक लगा दी थी। आर्थिक संकट के चलते चिकित्सा क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य कहीं खर्चा भी नहीं किया गया, लेकिन अब मंत्रियों के लिए नई गाड़ियां खरीदे जाने पर विपक्ष सवाल उठा रहा है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी का कहना है कि कर्ज लेकर घी पीने की कहावत गहलोत सरकार के लिए सिद्ध होती है। एक तरफ तो विकास कार्य रोक रखे हैं, वहीं दूसरी तरफ मंत्रियों की नाराजगी दूर करने के लिए गाड़ियां खरीदी गई हैं। राज्य सरकार में सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव जितेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि वित्त विभाग की अनुमति के बाद मंत्रियों के लिए नई एसयूवी खरीदी गई है।

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