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बीकानेर,डॉ. बी. एल. स्वामी ने बताया कि बायोडिग्रेडेबल स्कैफोल्ड स्टैंड की नई तकनीक है कारगर, दिल के मरीजों के लिए फायदेमंद भी एवं खुशी की खबर। एक अनुमान के मुताबिक हार्ड अटैक के सबसे ज्यादा मरीज भारत में है साल 2021 में 49 लाख केस सामने आए अगर उपचार के विकल्पों की बात की जाए तो ब्लॉकेज के गंभीर स्थिति में एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी सबसे आम विकल्प है पर स्टेंट की पिछले दिनों में काफी उन्नत तकनीकी के आने से अब देश में लगभग 5 लाख से अधिक एंजियोप्लास्टी की जाती है अब जहां 100 मरीजों को स्टेंट लगाए जाते हैं वहां एक मरीज की बाईपास सर्जरी हो रही है अब फेल बाईपास ग्राफ्ट में भी देश में स्टेंट लगाए जा रहे हैं जो बीकानेर संभाग में पहली बार आयुष्मान हार्ट सेंटर ने शुरुआत की है। भारत में अब ऐसे स्टेंट की तकनीकी आ चुकी है जिन्हें इंप्लांट करने के कुछ समय ( लगभग छः महीने) के बाद वह हृदय की नसों में घुल जाएंगे और मरीज के हृदय की नस की कार्य क्षमता फिर से बेहतर कर देंगे।

विशेष बात यह है कि यह स्कैफोल्ड 100 माइक्रोन का अब तक का सबसे प्रोफाइल का है एवं दुनिया में सबसे कारगर स्टेंट है।यह कई तकनीकी खतरों से बचाता है

आयुष्मान हार्ट केयर सेन्टर के विभागाध्यक्ष डॉ. बी.एल. स्वामी ने बताया कि चिकित्सा विज्ञान ने ऐसी तकनीकी विकसित करली है जिसमें स्टेंट इंप्लांट होने के कुछ समय बाद पूरी तरह घुल जाएगा साथ ही स्टेंट कुछ समय बाद घुलकर नस को वापस से अपनी प्राकृतिक स्थिति में लौटने में मदद करता है इसके अलावा लेट स्टैंट थ्रोम्बोसिस एवं स्टेंट रीस्टेनोसिस का खतरा भी बहुत कम हो जाता है साथ ही कम समय तक तेज खून पतला करने की आवश्यकता होती है। वही भविष्य में अगर उसी नस में किसी और जगह ब्लॉकेज हो जाता है तो फिर से एंजियोप्लास्टी की जा सकती है डॉ. बी. एल. स्वामी ने बताया यह इंप्लांट बड़े महानगरों में पिछले 1 साल से उपयोग में लाया जा रहा है पर अब इसकी बीकानेर संभाग में भी शुरुआत की कर दी गई है।

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