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बीकानेर,राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार नीतिगत निर्देशों और सर्वोच्च न्यायालय की वर्जनाओं के बाद भी गोचर पर 30 साल से पहले बसे लोगों को पट्टे देने का निर्णय किया है। इस मुद्दे पर प्रदेशभर में गोचर रक्षा और गो सेवा में लगी संस्थाएं और लोग आंदोलित है। इसका सरकार को भान है। मज़े की बात भाजपा चुप्पी साधे हुए हैं। क्यों तो कांग्रेस सरकार ने गोचर पर पट्टे देने की घोषणा कि और क्यों भाजपा चुप है ? क्योंकि कब्जे राजनेताओं या राजनीतिक पार्टियों के समर्थन से ही हो रहे हैं। राजनीतिक शह के चलते प्रशासन मूक बना रहता है। गोचर सबकी है। गाय भी सभी की है। फिर कोई भी राजनीतिक दल क्यों नहीं बोल रहा है ? भाजपा और कांग्रेस नेताओं के राजनीतिक स्वार्थ गोचर के मामले में आड़े आ रहे हैं। प्रदेशभर में समाज के स्तर पर ही विरोध दर्ज करवाया गया है। भाजपा और कांग्रेस का गोचर के मामले में चुप्पी अपने स्वार्थों के कारण है। गोचर पर कब्जाधारी नेता है या उनके समर्थक है। यही कारण है की गोचर का मुद्दा व्यापक आंदोलन नहीं बन पा रहा है। आम जनता गोचर, ओरण, जोहड़ पायतन और आगोर की भूमि पर अतिक्रमण नहीं चाहती। न ही इस सार्वजनिक भूमि का इतर उपयोग भी स्वीकार करती है। राजनीतिक लोग, कब्जाधारी और भू माफियाओं की नजर ऐसी सार्वजनिक संपदा पर टिक रहती है। गोचर की जमीन अब राजनीति के भेंट चढ़ने जा रही है। गोचर को गहलोत सरकार ने वोट बैंक मान लिया है। चहुं ओर गहलोत सरकार के इस निर्णय का समाज विरोध कर रहा है। राज्य के हर जिले से मुख्यमंत्री को इस निर्णय के खिलाफ ज्ञापन भेजा गया। कांग्रेस सरकार ने जो निर्णय किया है उस पर भाजपा ने चुप्पी का क्या अर्थ है ? क्या इस निर्णय को भाजपा ठीक मानती है। या फिर राजनीतिक रूप से पट्टे चाहने वालों को नाराज नहीं करना चाहती। हो सकता है गोचर को कायम रखना उनका राजनीतिक एजेंडा नहीं हो।राजस्थान में और बीकानेर में बड़े क्षेत्रफल में गोचर, ओरण और आगोर है। कब्जे भी यही सर्वाधिक है। फिर सरकार, प्रशासन और विपक्ष चुप हैं। लोग तो राजनीतिक सिटे सेकने से नहीं चूक रहे हैं। गैर राजनीतिक रूप से सरकार से गोचर पर पट्टे देने का आदेश निरस्त करने की मांग को लेकर धरना चल रहा है। ज्ञापन, प्रदर्शन की जन भावना बीजेपी और कांग्रेस ने नहीं समझी तो इनको राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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