बीकानेर,कोरोना महामारी की विपरीत परिस्थितियों में आंशिक लॉकडाउन के बीच राजकीय डूंगर महाविद्यालय के प्राणी शास्त्र विभाग तथा इंडियन सोसाइटी फॉर रेडिएशन बायोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में *’आगामी दशक में विकिरण जैविकी ‘* विषयक त्रि दिवसीय अंतरराष्ट्रीय विकिरण जैविकी संगोष्ठी का आगाज़ दिनांक 19 जनवरी 2022 को महाविद्यालय के प्रताप सभागार में हुआ। महामारी की विपरीत परिस्थितियों में सामाजिक दूरी के राजकीय नियमों की अनुपालना में संगोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन- ऑफलाइन के मिश्रित रूप में किया गया है। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में ऑनलाइन मुख्य अतिथि डॉक्टर बी डी कल्ला शिक्षा मंत्री राजस्थान सरकार ने अपने संबोधन में प्राणी शास्त्र विभाग द्वारा पूर्व में आयोजित दो विकिरण संबंधी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों के सफल आयोजन की चर्चा की। इंडियन सोसायटी फॉर रेडिएशन बायोलॉजी की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मधुबाला ने अपने ऑनलाइन संबोधन में कहा कि कोरोनावायरस में फेफड़ों संबंधी संक्रमण के उपचार में विकिरण जैविकी चिकित्सा की महती भूमिका सामने आई है। रेडिएशन सोसाइटी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रोफेसर विजय कालिया ने संस्था की ओर से अतिथियों का स्वागत किया। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के अध्यक्ष तथा प्रभारी डॉ राजेंद्र कुमार पुरोहित ने विभाग की ओर से अतिथियों का स्वागत किया तथा संगोष्ठी के स्वरूप पर प्रकाश डाला। विभाग द्वारा आयोजित इस तीसरी विकिरण संगोष्ठी में 31 आमंत्रित व्याख्यान तथा 200 से अधिक शोध पत्रों के सार संक्षेप प्राप्त हुए हैं जिनका वाचन 3 दिनों में तकनीकी सत्रों में किया जाएगा। संगोष्ठी में पोस्टर प्रदर्शनी में श्रेष्ठ पोस्टर का पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। संगोष्ठी में अमेरिका जर्मनी ऑस्ट्रेलिया सहित अनेक देशों से प्रतिभागियों की सहभागिता रहेगी। संगोष्ठी के संरक्षक तथा महाविद्यालय प्राचार्य डॉ जीपी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि विकिरण संबंधी विषय संपूर्ण मानव जाति तथा सभी विज्ञानों के लिए शोध का विषय है। विकिरण का प्राणियों के शरीर पर काफी दुष्प्रभाव होता है किंतु साथ ही कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों में इसका प्रभावी उपचार भी किया जा रहा है। डॉ राकेश हर्ष सहायक निदेशक कॉलेज शिक्षा ने संगोष्ठी की सफलता की शुभकामनाएं प्रेषित कीं। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र बीकानेर के निदेशक डॉ साहू ने अपने संबोधन में बताया कि ऊंट के दूध का कैंसर के इलाज में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है इस क्षेत्र में शोध की अपार संभावनाएं हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉक्टर अरुण चौगुले विभागाध्यक्ष रेडियोथैरेपी विभाग s.m.s. मेडिकल कॉलेज जयपुर ने अपने संबोधन में कहा कि विकिरण का प्रयोग एक दुधारी तलवार की तरह है किंतु आज इसके प्रयोग से बचा नहीं जा सकता।पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष 4.5 अरब की संख्या में रेडियो विकिरण इलाज हो रहे हैं। रेडियो विकिरण से कुल इलाज का 70% कैंसर के क्षेत्र में सफलतापूर्वक हो रहा है। राजस्थान में आचार्य तुलसी कैंसर रिसर्च सेंटर बीकानेर में अत्याधुनिक विकिरण चिकित्सा पद्धतियों से कैंसर का इलाज सफलतापूर्वक हो रहा है। आपने विकिरण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए अधिकाधिक आयुर्वेदिक होम्योपैथी तथा एलोपैथिक संयुक्त उपचार की आवश्यकता पर बल दिया। परमाणु केंद्रों के विकिरण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए औषधीय पौधों की उपादेयता पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि एक सामान्य व्यक्ति रसोईघर के माइक्रोवेव, मोबाइल फोन से निकलने वाली विकिरण से बच नहीं सकता। इन कम फ्रिकवेंसी विकिरणों का क्या दुष्प्रभाव होता है इसके बारे में जन सामान्य को अधिक जानकारी दी जानी चाहिए। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में भारतीय जैविकी विकिरण सोसायटी की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर मधुबाला को विकिरण बायोलॉजी के क्षेत्र में शोध के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। सह प्रभारी डॉ दीप्ति श्रीवास्तव ने भी अपने विचार रखे तथा आयोजन सचिव डॉ अरुणा चक्रवर्ती ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर अरुण चौगले तथा प्रोफेसर मधुबाला ने संयुक्त रुप से की। इस तकनीकी सत्र की प्रतिवेदन अधिकारी डॉ स्मिता जैन रहीं। प्रथम तकनीकी सत्र में अमेरिका के पांच शोधार्थियों डॉ सीमा गुप्ता, डॉ कृष्णा कोका, डॉ साहिथी मेडीरेड्डी, डॉ अभिनव शंकरनथी, डॉ अर्नव शंकरनथी ने विभिन्न विकिरण उपचार पद्धतियों यथा बाहरी बीम विकिरण थेरेपी, ब्रेची थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी पर उच्च स्तरीय शोध पत्र प्रस्तुत किए।