श्रीगंगानगर यह मामला बड़ा कर रोचक है। काफी मशक्कत के बाद कभी पुलिस खाली हाथ है। मामला है। “कोई सामान्य चोरी का नहीं बल्कि गधों की गुमशुदगी से जुड़ा है। गधे भी कोई एक दो नहीं बल्कि पांच दर्जन से भी ज्यादा हैं। गुमशुदा गधों की तलाश में पांच पुलिसकर्मियों ने लगातार पन्द्रह दिन तक गांव ढाणियों की खाक छानी लेकिन में सफलता हाथ नहीं लगी। पुलिस के सामने सबसे बड़ा संकट गधों की पहचान का है।
गधे चोरी का यह मामला नोहर उपखंड के खुइयां पुलिस थाना क्षेत्र का है। थाना इलाके के रायंका ढाणी, सिरंगसर, जबरासर, कानसर, देवासर, मंदरपुरा, चैनपुरा, पांडूसर आदि गांवों से 5 दिसंबर से गधे चोरी होने शुरू हुए और करीब 70 गधे चोरी हो गए इस संबंध में पुलिस में 11 दिसंबर को परिवाद दिए गए। इसके बाद दो एफआइआर दर्ज की गई।
पुलिस बोली- जांच अभी जारी है
गधों की तलाश में क्षेत्र के गांव-ढाणियों तक छानबीन की है। सबसे अधिक कठिनाई गधों की पहचान का संकट है। सब गधे एक जैसे ही दिखते हैं। ऐसे में चोरी हुए गधों की पहचान के काफी प्रयास कर जांच की गई। जांच अभी जारी है। -रामचरण मीणा, एएसआई. खुइयां पुलिस थाना है
दोबारा आंदोलन की तैयारी
करीब दर्जनभर चरवाहों के करीब 70 गधे चोरी हो चुके हैं। पुलिस ने गधे चोरी प्रकरण में कार्रवाई नहीं की तो चरवाहे आंदोलन करने पर मजबूर हुए। दबाव बढ़ा तो पुलिस संबंधित गांवों से लावारिस गधे पकड़कर लाई लेकिन चरवाहों ने उनको अपना बताने से इनकार कर दिया। इसके बाद 28 दिसम्बर को चरवाहों ने ग्रामीणों के साथ पुलिस थाने पर प्रदर्शन किया तो डीएसपी विनोद कुमार ने पखवाड़े भर का समय और मांगा। अब यह समयावधि भी समाप्त हो गई है। ऐसे में चरवाहे दोबारा आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं। पंचायत समिति की बैठक में भी गधों की चोरी का मामला उठ चुका है।
इसीलिए चोरी का आशंका
चरवाहे अपना खाने-पीने का सामान गधों पर लादकर रखते हैं। छोटे या • बीमार पशु भी गधों पर ही लाद कर रखते हैं। चरवाहों के अनुसार स्थानीय क्षेत्र में एक गधे की कीमत 15 से 20 हजार रुपए है जबकि महाराष्ट्र क्षेत्र में एक गधे की कीमत 50 हजार रुपए से अधिक है।
इसलिए चोरी की आशंका जताई जा रही है। ओमप्रकाश चरवाहा ने बताया कि आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने के कारण गधे खरीद नहीं पा रहा। राजू गिर ने बताया कि समय रहते कार्रवाई होती तो चोरी का खुलासा हो जाता। गधे नहीं मिले तो रोजी रोटी का संकट हो जाएगा।