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  • बीकानेर,राजस्थान के करीब दस हजार ग्राम पंचायतों के 45 हजार गांवों के युवकों और गोपालकोँ को गोबर से मानक गुणवत्ता की खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। खाद और कीट नियंत्रक बनाकर प्रशिक्षित युवा रोजगार के इस नए सेक्टर से नियमित आय ले सकता है। राज्य सरकार का कृषि विभाग राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में परंपरागत खेती में गोबर खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक के उत्पादन को बढ़ावा देकर युवाओं को संबल प्रदान कर सकता है। राज्य सरकार के तात्कालिक प्रमुख शासन सचिव कृषि की ओर से अनुमोदित वैज्ञानिकों की कमेटी ने खाद व कीट नियंत्रक प्रसंस्करण की विधि अनुमोदित की है। राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान वि वि और राजस्थान गो सेवा परिषद के बीच एम ओ यू के तहत वि वि राज्य में प्रशिक्षण की आधारभूत संरचना विकसित करेगा। राज्य के तीन वेटरनरी कालेज, सात पशु अनुसंधान केंद्र, 14 पशु विज्ञान केंद्र और निकटवर्ती गोशालाओं को प्रशिक्षण का केंद्र बनाया गया है। इन केंद्रों में प्रायोगिक तौर पर सुविधाएं सृजित की जा रही है। प्रसार निदेशक की ओर से गौशालाओं में डेमो तैयार किए जा रहे हैं। इन केंद्रों पर इसी वर्ष से प्रशिक्षण शुरू किया जाना है। प्रसार निदेशक राजूवास की ओर से ऑन लाइन प्रशिक्षण शुरू करने का भी निर्णय किया गया है। राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्व विद्यालय के कुलपति डा. सतीश के. भार्गव ने और आर.जी. प. के राष्ट्रीय संयोजक डा. कर्नल ए. के. गहलोत के साथ निदेशक प्रसार, निदेशक मानव संसाधन और प्रतिनिधि लोग राज्य के प्रत्येक गांव से कम से कम एक युवा को खाद व कीट नियंत्रक बनाने, उससे रोजगार सृजित करने तथा इस नए सेक्टर में विपणन के आयामों पर काम शुरू किया गया है । प्रशिक्षण को व्यापक स्तर देने के लिए वि वि ने राज्य सरकार को बजट प्रावधान भी भेजा है। कोई भी युवा या गोपालक प्रशिक्षण लेकर रोजगार शुरू कर सकता है। यह खाद और कीट नियंत्रक रसायनिक खेती का विकल्प होगा। इससे खेती पर लागत घटेगी। जैविक कृषि उत्पाद का बाजार मूल्य ज्यादा मिलेगा। मिट्टी, पानी, हवा में रसायनिक दुष्प्रभाव कम होंगे। गोपालको को गोबर और गोमूत्र का मूल्य मिल सकेगा। इससे गाय पालना आर्थिक दृष्टि से फायदे का धंधा हो जाएगा। रसायनिक खेती से कृषि उत्पादों का मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव कम होंगे। राज्य में व्यापक स्तर

पर खाद और कीट नियंत्रक उत्पादन का नया सेक्टर खुल सकेगा। युवा पीढ़ी इस सेक्टर में रुचि दिखा रही है। कोई भी युवा राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्व विद्यालय के प्रसार निदेशक प्रो. राजेश कुमार धुडिया से संपर्क कर प्रशिक्षण ले सकता है। अथवा वेटरनरी कालेज, पशु अनुसंधान केंद्र, पशु विज्ञान केंद्रों के प्रभारी से संपर्क साधकर प्रशिक्षण का पंजीयन करवा सकता है।

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