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बीकानेर,सांस की तकलीफ से जूझ रहे लगभग 70 वर्षीय मरीज की जांच में पता चला कि हार्ट की पंपिंग लगभग 40 प्रतिशत रह गई है। एक वाल्व सिकुड़ गया है। पहले से ही एंजियोप्लास्टी हो चुकी है, स्टंट लगा हुआ है। बाकी बीमारियां भी हैं। ओपन हार्ट सर्जरी करना काफी हद तक मुश्किल था।हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने ट्रांसकैथेटर एअरोटिक वाल्व इंप्लांटेशन (टावी) तकनीक से इलाज होने की संभावना जताई। मरीज के रिश्तेदारों को बताया तो वे इलाज कराने को तैयार हो गए। दिक्कत यह थी कि इस तकनीक से आज तक न केवल बीकानेर वरन राजस्थान के किसी भी सरकारी हाॅस्पिटल में इलाज नहीं हुआ था। ऐसे में डॉ.गौरव माथुर ने इनिशिएटिव लिया और एक्सपर्ट डॉ.रवीन्द्र राव से संपर्क साधा।

डॉ.राव ने बीकानेर आकर इलाज करने के साथ ही व्यवहारिक प्रशिक्षण देना स्वीकार किया। लगभग 10 दिनों में मरीज की कई तरह की जांच हुई। कार्डियोलोजी विभागाध्यक्ष डॉ.पिंटू नाहटा के साथ पूरी टीम बनी। मंगलवार को सभी इंतजाम पूरे होने के साथ ही महज 40 मिनट में बगैर सर्जरी किए एंजियोग्राफी के जरिये वाल्व रिप्लेस कर दिया। इस रिप्लेसमेंट में शामिल डॉक्टर्स की टीम का दावा है कि यह हार्ट ट्रीटमेंट की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे पहले बीकानेर में हार्ट बाइपास सर्जरी शुरू हो ही चुकी है। ऐसे में अब बीकानेर का हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल सरकारी क्षेत्र में एक बड़े सेंटर के रूप में उभर आया है।

डॉक्टर्स का दावा है कि राजस्थान के मेडिकल कॉलेज से जुड़े सरकारी हॉस्पिटलों में इस तकनीक का उपयोग पहली बार

यह है टावी टेक्निक
ट्रांसकैथेटर एअरोटिक वाल्व इंप्लांटेशन (टावी) में एक छोटे से चीरे के जरिये पतली लचीली ट्यूब वाल्व सहित खराब वाल्व वाली जगह पहुंचाई जाती है। इसी एंजियोग्राफी प्रक्रिया की जरिये स्क्रीन पर देखते हुए वाल्व बदल दिया जाता है। इसमें एनस्थीसिया देने की जरूरत नहीं है। जांघ, पसली, गर्दन आदि किसी भी हिस्से से यह तार डाला जा सकता है। बीकानेर में यह प्रक्रिया जांघ से की गई। जांघ में जहां चीरा लगा उतना आधा इंच का हिस्सा ही सुन्न किया गया। मरीज अब पूरी तरह ठीक है।

इन डॉक्टरों ने अंजाम दिया
डॉ.रवीन्द्र राव के साथ डॉ.पिंटू नाहटा, डॉ.दिनेश चौधरी, डॉ.गौरव माथुर, डॉ.सुनील बुढानिया, डॉ.श्रवणसिंह, डॉ.रामगोपाल। एक्सपर्ट टैक्नीशियन के तौर पर राकेश सोलंकी, पंकज तंवर शामिल रहे। सिटी सर्जरी के डॉ.जयकिशन सुथार, डॉ.सर्वेश भी पूरी प्रक्रिया के दौरान मौजूद रहे। हार्ट हॉस्पिटल के प्रभारी डॉ.देवेन्द्र अग्रवाल ने डॉ.राव सहित पूरी टीम का सम्मान किया।

डॉ.गौरव ने इनीशिएटिव लिया। बाहर से एक्सपर्ट बुलाया। पूरी टीम ने इलाज के एक नए सोपान तक पहुंचने के लिए 10 दिन तक बेहतर काम किया। आखिरकार आज हम सफल हुए। यह कह सकते हैं कि बीकानेर के हार्ट सेंटर में अब हार्ट की जटिलतम बीमारियों का इलाज, नवीनतम तकनीकों से किया जा सकता है। – डॉ.पिंटू नाहटा, सीनियर प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष कार्डियोलोजी

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