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बीकानेर,छत्तरगढ़, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में कॉटन मिलों की मांग निकलने से पिछले कुछ समय में नरमा के भावों में एकाएक तेजी आई है। आलम यह है कि यह पिछले कई वर्ष की तुलना में इस समय सबसे ऊंचे दाम तक पहुंच गया है। आम तौर पर छत्तरगढ़ मंडी में नरमा साढ़े छह से साढ़े सात हजार रुपए प्रति क्विंटल तक रहा है। ऐसे में इस बार अचानक भाव दस हजार रुपए तक पहुंचने से जहां किसानों में खुशी है। वहीं व्यापारी भी आशंकित है। व्यापारियों का कहना है कि इस बार भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार से भी ज्यादा हो गए हैं। ऐसे में विदेशों में मांग ज्यादा नहीं है। इसके बावजूद इलाके में अचानक भावों का बढ़ना आशंका पैदा करता है।

दिखावटी तेजी की आशंका

छत्तरगढ़ मंडी सहित आसपास की मंडियों में भाव 8700 रुपए से 10 हजार 500 रुपए प्रति क्विंटल बिके हैं। किसानों में तो इससे खुशी है लेकिन व्यापारी अब भी स्टॉक करने से बच रहे हैं। उन्हें आशंका है कि कहीं यह तेजी दिखावटी नहीं हो। सट्टे के सौदा का बड़ा कारण हो सकता है। जिस तेजी से भाव बढ़े हैं उसी तेजी से इसमें कमी भी आ सकती है।

कम उत्पादन हो सकता है कारण

कॉटन व्यापारी आईदान सारस्वत बताते हैं कि इस बार कम उत्पादन भाव में तेजी का बड़ा कारण बना है। वे बताते हैं कि इस वर्ष देश में तीन करोड़ तीस वह लाख गांठ प्रोडक्शन का अनुमान था लेकिन इसमें काफी कम प्रोडक्शन आने की संभावना जताई जा रही है। इसके चलते भावों में तेजी आई है।

मिलों में मांग ज्यादा

कॉटन व्यापार से जुड़े उदाराम मैया बताते हैं कि इस बार उत्पादन अपेक्षाकृत कम है और मिलो में मांग ज्यादा है ऐसे में इस बार भाव बढ़ने का यह एक कारण हो सकता है व्यापारी चौरुलाल जाखड़ का कहना है कि मांग बढ़ने और उत्पादन की कमी ने भाव बढ़ाई है ।

स्टॉक करने से झिझके

छत्तरगढ़ व्यापार मंडल अध्यक्ष नन्दराम जाखड़ बताते हैं कि कॉटन के भाव बढ़ने का कारण देश में ही कम उत्पादन है। इसके अलावा पहले व्यापारियों के पास जो स्टॉक था वह
भी उन्होंने बेच दिया। ये दो बड़े कारण हैं जिससे ये तेजी आई है। यदि गिरावट आई तो नुकसान भी होगा। ऐसे में इन दिनों में भाव में तेजी के बावजूद व्यापारी स्टॉक नहीं कर रहे।

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