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बीकानेर,17 जनवरी तक बंद हो गए हैं। कोरोना की रफ्तार को देखते हुए एक्सपर्ट मान रहे हैं कि 17 जनवरी के बाद भी स्कूल नहीं खुल पाएंगे। दरअसल शिक्षा विभाग, हेल्थ और होम डिपार्टमेंट की सिफारिश के आधार पर निर्णय करता है। संक्रमण बढ़ रहा है तो दोनों विभाग स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं होंगे। गाइडलाइन तैयार करने वाले शिक्षा निदेशालय के अधिकारी भी मानते हैं कि एक बार फिर स्कूल लंबे समय के लिए बंद हो रहे हैं।

जयपुर व जोधपुर के चार नगर निगम एरिया के स्कूल सरकार ने बंद कर दिए हैं। बीकानेर, हनुमानगढ़ और धौलपुर सहित कुछ जिलों में स्थानीय प्रशासन ने स्कूल बंद करने का फैसला लिया है। स्वयं राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टर को पावर दिए हैं कि वो शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से चर्चा के बाद स्कूल बंद कर सकते हैं। इसी कारण धीरे-धीरे अधिकांश जिलों में स्कूल बंद होने की आशंका जताई जा रही है।

छुट्‌टी का पैटर्न बदला
स्कूलों के लिए एसओपी जारी करने वाले अधिकारियों के मुताबिक कोरोना की पहली व दूसरी लहर में उन क्षेत्रों के भी स्कूल बंद किए गए थे, जहां एक भी रोगी नहीं था। इस स्थिति से बचने के लिए इस बार उसी एरिया में छुट्‌टी होगी, जहां रोगी ज्यादा होंगे।

जयपुर और जोधपुर के बाद अब बीकानेर व उदयपुर जैसे बड़े जिलों में रोगी बढ़ रहे हैं। बीकानेर में एक ही दिन में डेढ़ सौ से अधिक केस मिले तो कलेक्टर ने छुट्‌टी की घोषणा कर दी। इसके अलावा धौलपुर कलेक्टर ने भी छुट्‌टी कर दी है। जिस स्पीड से कोविड बढ़ेगा, उस स्पीड से हर जिले में स्कूल बंद होंगे। चूंकि कोरोना शहरों में ज्यादा फैल रहा है, ऐसे में शहरी निकायों के एरिया में ही छुट्‌टी हो रही है।

स्कूल खोलना खतरे से खाली नहीं
हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि आने वाले दिनों में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, धौलपुर या गंगानगर जिलों में कोरोना का ग्राफ कम नहीं होगा, बल्कि बढ़ेगा ही। पूरी जनवरी में कोविड रोगियों की संख्या बढ़ेगी। ऐसे में स्कूल खोलना खतरे से खाली नहीं है।

पहली लहर में ऐसा हुआ
जब कोरोना की पहली लहर आई, तब भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 15 मार्च 2020 से 30 मार्च 2020 तक अवकाश घोषित किया था। हालात ये हुए कि डेढ़ साल तक शिक्षा विभाग इन डेट्स को बढ़ाता रहा। दो क्लास तो बच्चों को घर बैठाकर पास कराया गया।

स्पीड तेज तो पीक भी जल्दी
एक्सपर्ट के मुताबिक जिस रफ्तार से कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं, उसी रफ्तार से पीक भी आएगा। अगर पीक एक महीने में ही आता है तो दो महीने बाद बच्चों की परीक्षा फिर से हो सकती है। आमतौर पर मार्च-अप्रैल में ही एग्जाम होते हैं। स्कूलों में अधिकांश कोर्स पूरा हो चुका है। ऐसे में एग्जाम लेट हो सकते हैं, लेकिन होंगे जरूर। वैसे भी इस बार बच्चों के हाफ ईयरली तक के एग्जाम हो गए हैं। उन्हीं के आधार पर मार्किंग हो सकती है। हालांकि अभी एग्जाम के लिए काफी समय है।

बच्चों पर खतरा ज्यादा
एक अनुमान के मुताबिक, हर सौ कोविड पॉजिटिव में पांच से दस फीसदी स्कूली बच्चे हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट के बीकानेर संभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. देवेंद्र चौधरी का कहना है कि आने वाले दिनों में अचानक संख्या कम होने की उम्मीद नहीं है। उप निदेशक डॉ. राहुल हर्ष का कहना है कि बच्चों में कोरोना से नुकसान का खतरा कम है, लेकिन स्कूल से संक्रमित होकर आया बच्चा घर के बुजुर्गों को संक्रमित कर सकता है। इसलिए यह बहुत खतरनाक है।

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