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जयपुर। स्कूलों द्वारा फीस के चलते अभिभावकों को भेजे जा रहे लीगल नोटिस का मामला अभी थमा भी नही था कि अब एक बार फिर राजस्थान के अभिभावक स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जता रहे है अभिभावकों का कहना है कि ” राज्य सरकार तो केवल खानापूर्ति कर रही है, ना बच्चो पर ध्यान दे रही है ना अभिभावकों की मांगों पर ध्यान दे रही है, प्रदेश में प्रतिदिन कोरोना के मामले डबल हो रहे है, ऐसी स्थिति में सरकार ने शादियों में 100 लोगों की संख्या, श्मशान में 20 लोगों की संख्या एवं सार्वजनिक कार्यक्रमो में 200 लोगो की संख्या समिति रखने के आदेश दिए है और वही स्कूलों पर मेहरबानी बरतते हुए राज्य सरकार ने मात्र 6 दिनों तक कक्षा 1 से आठवीं तक के स्कूल बंद किये है जबकि 75 फीसदी से अधिक स्कूलों में बच्चों की संख्या 400 से अधिक है। क्या राज्य सरकार यह साबित कर पायेगी की स्कूलों में बच्चों में संक्रमण नही फैलेंगा या राज्य सरकार और स्कूल संचालक बच्चों की जिम्मेदारी उठाएगी।

संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि ” राज्य सरकार लगातार निजी स्कूलों के दबाव में आकर कार्य कर रही है, इसी का परिणाम है कि जब से कोरोना आया है तब लेकर आज दिनांक तक स्कूलों द्वारा किसी भी गाइडलाइन को फॉलो नही किया गया है ना ही राज्य सरकार ने उसकी पालना तय करवाई और ना ही प्रशासन ने ध्यान दिया। जबकि अभिभावकों ने इस दौरान हजारों की संख्या में शिक्षा अधिकारियों को शिकायत दर्ज करवाई किन्तु अभिभावकों की सुनने की बजाय अभिभावकों को ही खदेड़ कर भगा दिया। राज्य सरकार स्कूलों को लेकर कोविड़ गाइडलाइन जारी कर हर बार भूल जाती है, स्कूल बच्चो और अभिभावकों पर ऑफलाइन कक्षाओं में आने के दबाव बना रहे है, नही आने पर बच्चों का रिजल्ट खराब करने तक कि धमकिया दे रहे है ऐसे में अभिभावकों की चिंता अब दोहरी हो गई है एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई खोद दी गई है। बच्चो को स्कूल भेजे तो स्वास्थ्य की चिंता, ना भेजे तो उनके भविष्य खराब होने की चिंता, मतलब साफ है मरना अभिभावक को है सरकार और प्रशासन तो केवल मूक दर्शक बनकर केवल स्कूलों के दबाव में आकर एकतरफा फैसले ले रहा है।

जयपुर जिला अध्यक्ष युवराज हसीजा ने बताया कि छात्रों के भविष्य और स्वास्थ्य को लेकर सरकार की मंशा साफ झलकती है, राज्य सरकार को ना अभिभावकों से कोई सरोकार है ना छात्रों के भविष्य से कोई सरोकार है, आज देशभर में बढ़ते कोरोना के मामलों को तीसरी लहर कहा जा रहा है, जबकि दिल्ली में येलो अलर्ट जारी कर स्कूलों को अगले आदेश तक पूरी तरह से बन्द कर दिया गया है, महाराष्ट्र में 31 जनवरी तक स्कूल बंद है, यूपी, हरियाणा, बंगाल सहित कई राज्यो ने 15 जनवरी और अधिक दिनों तक स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। जबकि एक मात्र राजस्थान की अन्तर्यामी सरकार है जो दूसरी लहर में अपनी जिम्मेदारियों को झोड़ केंद्र पर ठीकरा फोड़ भाग खड़ी हो रही थी वह 6 दिनों तक स्कूलों को बंद करने का आदेश देकर हालात को सामान्य बनाने में जुटी है, जबकि शादी, श्मशान, सार्वजनिक कार्यक्रमो पर पूरी पांबदी लगा रही है किंतु सरकार की नजर में स्कूलों में कोरोना नही होगा उसका अंदाजा लगा रही है। राज्य सरकार को समय रहते बच्चो और अभिभावकों की शंकाओ पर ध्यान देकर आगामी 31 जनवरी तक स्कूलों को पूरी तरह से बंद करने के आदेश देने चाहिए जिससे संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सके। और स्कूलों पर सख्ती बरतने के आदेश देकर प्रतिदिन स्कूलों की जांच एवं गाइडलाइन फॉलो नही करने वाले स्कूलों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही अमल में लाने के आदेश देने चाहिए।

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