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बीकानेर। राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की सर्किट बैंच ने इलाज में लापरवाही के कारण युवती की मौत पर अस्पताल और डॉक्टर को दोषी मानते हुए 3.50 लाख रुपए का हर्जाना देने के आदेश दिए हैं। – ष्ठड्डद्बठ्ठद्बद्म क्चद्धड्डह्यद्मड्डह्म्

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की सर्किट बैंच ने इलाज में लापरवाही के कारण युवती की मौत पर अस्पताल और डॉक्टर को दोषी मानते हुए 3.50 लाख रुपए का हर्जाना देने के आदेश दिए हैं।

राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की सर्किट बैंच ने इलाज में लापरवाही के कारण युवती की मौत पर अस्पताल और डॉक्टर को दोषी मानते हुए 3.50 लाख रुपए का हर्जाना देने के आदेश दिए हैं। परिवादी अजीतसिंह सिंघवी ने वर्ष, 2009 में उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग बीकानेर में परिवाद दिया था कि उसकी पुत्री अर्चना सिंघवी को 6 मई, 2007 को सांस की तकलीफ के कारण निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।

नौ मई तक ठीक से इलाज नहीं होने के कारण उसकी तबीयत बिगडऩे लगी। ऑक्सीजन सेचुरेशन 85-89 पहुंच गया तो अस्पताल ने ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करवाया। लेकिन, सिलेंडर में ऑक्सीजन ही नहीं थी। दूसरा सिलेंडर लाया जाता तब तक अर्चना की मौत हो गई।

आयोग ने 13 जून, 2012 को अस्पताल और डॉक्टर प्रमोद नारंग की इलाज में लापरवाही मानी जिसके विरुद्व राज्य उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में अपील की गई। राज्य आयोग की बीकानेर सर्किट बैंच ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अस्पताल और डॉक्टर को इलाज में लापरवाही, उपेक्षा व सेवा में कमी का दोषी मानते हुए 3.50 लाख रुपए का हर्जाना देने के आदेश दिए हैं। राज्य आयोग की सर्किट बैंच के पीठासीन अधिकारी अतुल कुमार चटर्जी, न्यायिक सदस्य संजय टाक ने फैसला सुनाया।

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