जयपुर। इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आईजीएनपी) क्षेत्र में गत 30 मार्च से 28 मई तक अब तक के इतिहास में सबसे लम्बी अवधि की नहरबंदी के दौरान जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) और जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) के बीच हर स्तर पर सतत तालमेल, सहयोग और संचार से जनहित में त्वरित एक्शन लेते हुए प्रदेश के 10 जिलों में पेयजल प्रबंधन के लिहाज से आपसी समन्वय की एक नई मिसाल पेश की गई।
पीएचईडी के एसीएस श्री सुधांश पंत और डब्ल्यूआरडी के प्रमुख शासन सचिव श्री नवीन महाजन की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मंगलवार को आईजीएनपी में इस बार की नहरबंदी के बारें में एक डी-ब्रीफिंग सेशन आयोजित किया गया। इसमें ‘इंदिरा गांधी नहर परियोजना में वर्ष 2021 की नहरबंदी-चुनौतियां, प्रयास और परिणाम’ के विषय पर दोनों विभागों के अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में आईजीएनपी के करीब 8500 किलोमीटर के नेटवर्क में आने वाले दस जिलों श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चुरू, जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, नागौर, सीकर और झुंझुनू में नहरबंदी के दौरान टेल एंड तक पेयजल व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए माइक्रो प्लानिंग, राऊण्ड द क्लॉक मॉनिटरिंग और एक-दूसरे को विश्वास मे लेते हुए पेश आई चुनौतियों का समय पर समाधान निकालकर लोगों को राहत दी गई।
*साझा प्रयासों से सकारात्मक परिणाम*
डी-ब्रीफिंग सेशन में पीएचईडी के एसीएस श्री सुधांश पंत और डब्ल्यूआरडी के प्रमुख शासन सचिव श्री नवीन महाजन ने सभी अधिकारियों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि दोनों विभागों के स्तर पर इस नहरबंदी के दौरान जो समन्वय कायम हुआ है, उसे आगे भी इसी तरह बरकरार रखा जाए। उन्होंने कहा कि दो विभागों का प्रदेश के व्यापक हित में पेयजल प्रबंधन के ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर पर फील्ड में टीम की तरह कार्य करना बड़ा सुखद अनुभव रहा है। सभी जिलों में कार्यरत अधिकारियों ने चुनौतियों के बीच अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया है। उन्होंने कहा कि सूझबूझ के साथ प्लानिंग, प्रबंधन और क्रियान्वयन की दृष्टि से इस बार की नहरबंदी में साझा प्रयासों के परिणाम सकारात्मक और उत्साहजनक है। इससे आने वाले समय में नहरबंदी सहित अन्य विषयों पर भी आपसी समन्वय एवं सहयोग को नए स्तर पर ले जाने में मदद मिलेगी।
*आगे के लिए अभी से तैयारी हो*
एसीएस श्री पंत ने डी-ब्रीफिंग सेशन को कारगर फीडबैक और लर्निंग एक्सरसाइज बताते हुए कहा कि आगे भी नहरबंदी के समय और अधिक बेहतर प्रबंधन करने के लिए अभी से तैयारी की जा सकती है। सम्बंधित जिलों में आवश्यकता के अनुसार कुछ निर्माण कार्य कराए जाने हो तो जल्द प्लानिंग कर उनको आरम्भ किया जा सकता है। उन्होंने अधिकारियों द्वारा कमोबेश सभी स्थानों पर पेयजल आपूर्ति को सुचारू बनाए रखने में कड़ी मेहनत की सराहना की। उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं लोगों को छिट पुट परेशानी का भी सामना करना पड़ा, मगर इनका स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से मौके पर समाधान किया गया। श्री पंत ने डब्ल्यूआरडी के अधिकारियों को इस बात के लिए बधाई दी कि इस बार की नहरबंदी के दौरान आईजीएनपी की करीब 70 किलोमीटर की लाइनिंग को समयबद्ध तरीके से एक-एक दिन का सदुपयोग करते हुए दुरूस्त किया गया।
*सभी स्तरों पर रहा सतत समन्वय*
डब्ल्यूआरडी के प्रमुख शासन सचिव श्री नवीन महाजन ने कहा कि इस बार पंजाब के पोंग डैम, रणजीत सागर और भाखड़ा डैम में पानी का स्तर तुलनात्मक रूप से कम होने बावजूद नहरबंदी के दौरान पीएचईडी के स्तर पर सक्रियता और परिपक्वता की वजह से लाईनिंग की मरम्मत के साथ-साथ पेयजल प्रबंधन की चुनौतियों को बखूबी निभाया जा सका। उन्होंने कहा कि नहरबंदी के दौरान रेग्यूलेशन विंग, आईजीएनपी और जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों को स्वायतता के साथ कार्य करने का अवसर दिया गया। उन्होंने पीएचईडी के अधिकारियों के साथ समन्वय करते हुए एडवांस में ‘पोंडिंग’ कराई। इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर पंजाब और भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड से सम्पर्क करके जिलों के लिए अतिरिक्त पानी भी रिलीज कराया गया। श्री महाजन ने कहा कि नहरबंदी के दौरान आवश्यक निर्माण कार्यों को समय पर सम्पादित करने और पेयजल प्रबंधन के सम्बंध में राज्य के मुख्य सचिव और पंजाब के मुख्य सचिव तथा दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री कार्यालयों के बीच भी बातचीत की गई। उन्होंने नहरबंदी के समय सम्पादित गतिविधियों को समन्वय का एक अच्छा मॉडल बताया।
*प्रस्तुतीकरण से बताई सफलता की कहानी*
वीसी के दौरान जल संसाधन विभाग की रेग्यूलेशन विंग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता श्री प्रदीप रस्तोगी ने *नहरबंदी के साझा अनुभवों के बारे में विस्तृत प्रेजेंटेशन* दिया गया।
*इसमें बताया गया कि-*
-आईजीएनपी में इस बार की बंदी 60 दिवसीय थी जबकि गत वर्षों में अधिकतम 35 दिवस की नहरबंदी ली गई थी। इसके तहत 30 मार्च से 28 अप्रैल तक आंशिक बंदी में सभी जिलों में अनिवार्य आवश्यकताओं के लिए पेयजल का संग्रहित किया गया, बाद में 29 अप्रैल से 28 मई तक पूर्ण बंदी ली गई।
-डब्ल्यूआरडी के अधिकारियों ने पीएचईडी के अधिकारियों से आईजीएनपी से जुड़ी पेयजल योजनाओं की अधिकतम जल संग्रहण क्षमता के बारे में अग्रिम तौर पर सूचना का संकलन और मुख्य नहर के सभी पॉन्ड्स की क्षमताओं का आंकलन कर आवश्यक व्यवस्थाएं की।
-एसीएस, पीएचईडी तथा प्रमुख शासन सचिव, जल संसाधन ने दोनों विभाग के अधिकारियों के साथ नहरबंदी से पूर्व और नहरबंदी के दौरान संयुक्त रूप से कई वीसी करते हुए स्थिति पर बराबर निगाह रखीं।
– जिलों में जल की बचत के पहलू पर भी कार्यवाही और जल के न्यायसंगत वितरण का कार्यक्रम बनाया गया।
-जिलों में टेल एंड तक पानी पहुंचाने के लिए मुख्य नहर पर आरएसी के जवानों द्वारा पेट्रोलिंग की गई। नहरबंदी के दौरान जिलों में नहरों में प्रवाहित जल का प्रयोग पेयजल के अलावा अवैध रूप से अन्य कामों में नहीं हो इसके लिए जिला प्रशासन, राजस्व विभाग एवं पुलिस ने भी योगदान दिया।
-इन्दिरा गांधी फीडर पर स्थित पोण्ड में भंडारित जल का उपयोग कर जैसलमेर संभाग के ग्रामीण क्षेत्र को 1500 क्यूसेक्स डे पानी उपलब्ध कराने के लिए जो नहरें चल रही थी उनको न्यूनतम मांग पर संचालित किया गया।
-जल के क्षय को कम करने के लिये आईजीएनपी की मुख्य नहर से निकलने वाली नहरों के हैड रेग्युलेटर के गेटों को सील कर लीकेज को बन्द किया गया। इसके अलावा ऐसे हैड रेग्यूलेटर एवं डायरेक्ट आउट लेट जहां से पानी की चोरी होने की संभावना थी, उनके गेट्स को वेल्डिंग करके बन्द रखा गया।
-मुख्य नहर में लोसेज को कम करने के लिये दो पोण्ड्स को एक साथ खाली किये जाने की कार्य योजना बनाई गई। इस प्रकार के कदमों से लगभग 2000 क्यूसेक्स -डे पानी की बचत हुई जिसे जोधपुर को 5 दिन अतिरिक्त एवं बीकानेर को लगभग पांच दिन तक और पानी दिया जाना संभव हो सका।
-पौंग बांध से हरिके तक पानी पहुंचने में लगने वाले समय की गणना कर नहरबंदी के बाद पौंग बांध से 26 मई 2021 से ही जल प्रवाह प्रारंभ करवाया गया।
-नहरबंदी के दौरान ताउते तूफान के कारण नहर प्रणालियों में जल के प्रवाह में किसी प्रकार की बाधा नहीं आए, इसके लिए अधिकारियों ने वाट्स एप के माध्यम त्वरित सूचनाएं से साझा कर समयबद्ध कार्यवाही की।
*वीसी में ये रहे मौजूद*
वीसी से जलदाय विभाग की विशिष्ट सचिव श्रीमती उर्मिला राजोरिया, मुख्य अभियंता (शहरी एवं एनआरडब्ल्यू) श्री सीएम चौहान, मुख्य अभियंता (ग्रामीण) श्री आरके मीना, मुख्य अभियंता (विशेष प्रोजेक्ट्स) श्री दलीप कुमार गौड़, मुख्य अभियंता (तकनीकी) श्री संदीप शर्मा, मुख्य अभियंता (जोधपुर) श्री नीरज माथुर, मुख्य अभियंता (नागौर) श्री दिनेश गोयल, आईजीएनपी, बीकानेर के मुख्य अभियंता, श्री विनोद चौधरी, मुख्य अभियंता, जल संसाधन, हनुमानगढ़ श्री विनोद मित्तल सहित सम्बंधित जिलों में कार्यरत पीएचईडी, डब्ल्यूआरडी और आईजीएनपी के अतिरिक्त मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता स्तर के अधिकारी जुड़े।