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बीकानेर। जेल का नाम सुनते ही हर व्यक्ति के जेहन में खूंखार अपराधियों की तस्वीर सामने आती है लेकिन बीकानेर केन्द्रीय कारागार सजायाफ्ता व विचाराधीन बंदियों का भविष्य संवारते हुए उनमें उम्मीद की लौ जला रहा है। पिछले सात साल में करीब दो हजार बंदी साक्षर होने के साथ-साथ डिग्री, डिप्लोमा कर प्राप्त कर चुके हैं। बीकानेर केन्द्रीय कारागार में बंदियों के पढ़ाई की लगन देखते ही बनती है। पढऩे और पढ़ाने की लगन के चलते निरक्षर बंदी साक्षर हो रहे हैं, वहीं साक्षर बंदी बीए, एमए, एमकॉम व एमबीए तक कर रहे हैं। बंदियों के पढऩे के लिए बकायता कारागार में एक पुस्तकालय चल रहा है,जिसमें सात हजार से अधिक पुस्तके हैं। हर दिन १92 अखबार व मैगजीन मंगवाए जाते हैं। इनमें तीन अग्रेजी और छह हिन्दी अखबार हैं। सात प्रकार की मैगजीन उपलब्ध कराई जा रही है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में बंदियों को शिक्षित करने में जोधपुर जोन में बीकानेर पहले स्थान पर है।

बीकानेर जेल के बंदी आगे
प्रदेश की जोधपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़ जेलों की बजाय बीकानेर के बंदी पढऩे एवं इग्नू से व्यवसायिक कौशल प्रशिक्षण लेने में सबसे आगे हैं। प्रदेश में बीकानेर जेल के बंदी सबसे अधिक पढऩे वाले हैं। सात साल में १९६१ बंदी सजायाफ्ता व विचाराधीन बंदी सर्टिफिकेट डिप्लोमा, एमए, एमकॉम, बीए आदि कर चुके हैं। जेल सूत्रों से मिले आंकड़ों की मानें तो प्रदेश में बीकानेर के बाद जोधपुर जेल के बंदी ही सबसे अधिक पढ़ रहे हैं। जेल में इग्नू के माध्यम से ३० प्रकार के कोर्स करवाए जा रहे हैं। बीकानेर में सजायाफ्ता एक बंदी नवनीत शर्मा ने एमबीए भी किया है।

जेल पुस्तकालय में इतनी पुस्तकें

बीकानेर केन्द्रीय कारागार के पुस्तकालय में सात हजार ४27 पुस्तकें उपलब्ध हैं। इनमें धार्मिक उपन्यास, जीवनी, कविता, कहानियां, गजल, दोहे आदि शामिल हैं। इस साल अक्टूबर से नवंबर तक बंदियों को ७८४ पुस्तकें पढऩे के लिए बांटी गई। इस पुस्तकालय में नौ प्रकार के अखबार आते हैं, जिसमें छह हिन्दी और तीन अंग्रेजी अखबार शामिल हैं।
५७ बंदियों को दिलाई विधिक सहायता
जेल में विधिक सेवा प्राधिकरण बीकानेर संचालित हैं। इसके माध्यम से जो बंदी अधिवक्ता नहीं कर सकते हैं, उन्हें सरकारी अधिवक्ता मुहैया कराया जाता है। सितंबर, अक्टूबर, नवंबर माह में ५७ बंदियों को विधिक सहायता दी गई।

अब दूसरों को पढ़ा रहे

सरकार का बंदियों को शिक्षित करने का उद्देश्य यह है कि वह सजा पूरी करने के बाद जब वापस समाज में जाए तो सिर उठाकर जी सके, अपना खुद का व्यवसाय कर सके। यहां से दो बंदी डीजल मैकेनिक में आईटीआई कर चुके हैं। सजायाफ्ता बंदी सुमन सागर जो पढ़ा-लिखा होने के कारण बंदियों को पढ़ाता था, वह वर्तमान में खुली जेल में है। अब इसकी जगह अन्य दो बंदी दूसरों को पढ़ा रहे हैं। कई पढ़े-लिखे बंदियों से ऑफिस में काम लिया जा रहा है। बंदी इमरान पुस्तकालय संभाालने के साथ-साथ बंदियों को पढ़ाने का काम भी कर रहा है

सात साल में इतने हुए साक्षर
वर्ष साक्षर 2015 200

2016 ४29
2017 272

2018 234
2019 ३27

2020 2९८
2021 201

इनका कहना है

बंदियों को समाज की तरफ मोडऩे के लिए विभिन्न कोर्सेज व धार्मिक व ज्ञानवद्र्धक पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं। जेल से अब तक १९६१ बंदी साक्षर हो चुके हैं, जिनमें से एक बंदी एमबीए तक कर चुका हैं। जेल पुस्तकालय में और अधिक पुस्तकों की खरीद के लिए अलग से सरकार ने बजट स्वीकृत किया है। – आर. अनंतेश्वरन, अधीक्षक बीकानेर केन्द्रीय कारागार

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