बीकानेर,334 पद रिक्त पीबीएम अस्पताल में अभी 334 पद रिक्त पड़े हैं। अब अन्य वार्डो में ड्यूटी लगाने अथवा कोरोना जैसी महामारी होने के कारण जोड़-तोड़ से काम चलाना पड़ रहा है। ऐसे में नर्सिंग कर्मियों के अवकाश पर भी समय-समय प्रतिबंध लगा दिया जाता है।
बीकानेर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से तय आदर्श मापदंड के मुताबिक किसी भी अस्पताल में औसत चार मरीज पर एक नर्सिंग कार्मिक होना चाहिए। अब संभाग के सबसे बड़े अस्पताल पीबीएम को इस मापदंड पर देखें तो यहां चार तो छोड़ों 40 मरीजों की देखरेख के लिए भी एक नर्सिंग कार्मिक बड़ी मुश्किल से मिलता है। ऐसे में मरीजों के परिजनों को ही भर्ती मरीज के कुछ ऐसे काम करने पड़ते हैं, जो नर्सिंग कार्मिक की ओर से किए जाने चाहिए। मसलन मरीज को चढ़ रही ड्रिप का फ्लूड समाप्त हो जाए तो परिजन ही उसे बंद करते हैं। यदि नर्सिंग कार्मिक का इंतजार करते रहे तो मरीज की हालत खराब हो जाए।
स्टाफ की कमी की वजह से अस्पताल में आए दिन मरीजों के तीमारदारों और स्टाफ के बीच हाथापाई की नौबत आ जाती है। अस्पताल में नर्सिंग कार्मिकों के 334 पद रिक्त है। यह पद भी कई साल पहले अस्पताल में भर्ती हो रहे मरीजों के नुपात में स्वीकृत है। आज के मरीजों की तादाद के हिसाब से देखें तो करीब पांच सौ नर्सिंग कर्मी की जरूरत है।
गाइड लाइन के अनुसार वार्ड में चार बेड पर मरीजों की देखभाल के लिए एक नर्सिंग कर्मचारी ड्यूटी पर होना चाहिए। आइसीयू में प्रत्येक बेड पर एक नर्सिंग कार्मिक तैनात रहना चाहिए। इस यूनिट में गंभीर मरीज ही भर्ती किए जाते हैं।
स्वीकृत पदों पर एक नजर
सरकार ने पीबीएम अस्पताल में 956 नर्सिंग कर्मियों के पद स्वीकृत कर रखे है। इसमें नर्स श्रेणी के 226 तथा नर्स श्रेणी दो 730 पद है।
उपलब्ध कार्मिकों की स्थिति
अस्पताल में 956 के मुकाबले 622 कार्मिक ही उपलब्ध है। इसमें नर्स श्रेणी एक के 102 तथा नर्स श्रेणी दो
के 520 कार्मिक है। इसमें से भी कई नर्सिंग कर्मचारियों के स्थानांतरण अन्यंत्र हो चुके हैं। कुछ की ड्यूटी ऑफिस कार्य व अन्य कामों में रहती है।
अस्पताल में 2300 बेड
अस्पताल में सरकार की ओर से त 2300 बेड ही स्वीकृत है। परन्तु कभी कोरोना महामारी, कभी डेंगू तो कभी मौसमी बीमारियों के प्रकोप के चलते बेड बढ़ाने ही पड़ते हैं। कई बार तो मरीजों को जमीन पर लेटाकर उपचार करना पड़ता है।
सरकार को पत्र भेजा
यह सही है कि नर्सिंग कर्मचारियों की कमी के कारण इलाज को लेकर दिक्कत होती है। फिर भी सरकार को नर्सिंग कर्मियों के पदों को भरने के लिए समय-समय पर पत्र भेजते टेक् रहते हैं। कर्मियों की कमी के में या चलते जोड़तोड़ करके काम चला रहे हैं।
डॉ. परमिन्द्र सिरोही, अधीक्षक पीबीएम अस्पताल
परेशानी होती है
अस्पताल में नर्सिंग कार्मिकों की कमी के चलते ड्यूटियां लगाने में काफी परेशानी होती है। अस्पताल में मरीजों की संख्या को देखते हुए अभी भी तीन सौ कर्मचारियों की दरकार है। प्रशासन को भी इस बारे में कई बार कहा जा चुका है।
हरिराम परिहार, जिला मुख्य नर्सिंग अधीक्षक पीबीएम
भर्ती मरीजों की संख्या
प्रतिदिन अस्पताल के विभिन्न वार्डो में तीन सौ मरीजों को प्रतिदिन भर्ती किया जाता है। जबकि डिस्चार्ज होने वाले मरीज इस संख्या से कम है। इसके साथ ही विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए करीब बीस विभाग
भी है। ट्रोमा सेंटर और आपात कालीन में भी मरीज भर्ती किए जाते हैं।
प्रत्येक वार्ड में औसत चालीस बेड
पीबीएम अस्पताल में के प्रत्येक वार्ड में चालीस से पैंतालीस बेड लगे हुए हैं। गाइड लाइन के अनुसार एक वार्ड में दस नर्सिंग कर्मचारी होने चाहिए। उसे तीन शिफ्ट के हिसाब से देखें तो तीस नर्सिंग कार्मिक की आवश्यकता रहती हैं। जबकि अस्पताल के प्रत्येक वार्ड में एक समय पर एक या दो नर्सिंग कार्मिक ही ड्यूटी पर होते हैं। ऐसे में उन्हीं पर वार्ड में भर्ती सभी मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी रहती है। करीब बीस-पच्चीस बेड के आइसीयू में भी दो नर्सिंग कर्मचारी ही रहते हैं। ऑपरेशन थियेटर में एक टेबल पर तीन नर्सिंग कार्मिक होने चाहिए।