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बीकानेर। अपनी बेरंग जिंदगी मेंं रंग भरने का बंदियों ने बेहतरीन नुस्खा ढूंढ़ लिया है। जेल की पथरीली जमीन पर सोने के बावजूद इन बंदियों ने न सिर्फ जेल परिसर की जमीन को पेड़-पौधों से हरा-भरा किया बल्कि अब जेल के बाहर भी लोगों के घरों तक उनके लगाए पौधों की महक पहुंच रही है। दरअसल बंदियों ने जेल में ही एक नर्सरी तैयार की है, जिसमें यह पौधे तैयार किए जा रहे हैं। पहले एक और अब धीरे-धीरे करके ८ बंदी इस मुहिम से जुड़ चुके हैं। अभी शुरुआती दौर है फिर भी लगभग पांच हजार पौधे इस नर्सरी से तैयार होकर निकल चुके हैं और पुलिस और प्रशासन के अफसरों के बंगले महकाने के साथ ही दूसरी जगहों पर भी अपनी सुगंध फैलाने को आतुर दिखाई दे रहे हैं।

जेल कार्मिकों के मुताबिक वर्ष २०१६ में एक बंदी नेफुलवारी तैयार करने का बीड़ा उठाया। फिलवक्त आठ बंदी इस काम में लगे हुए हैं। इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। बंदी विभिन्न तरह के फूलों और फलों के पौधे लगाने का काम रुचि से कर रहे हैं। पिछले छह साल में बीकानेर केन्द्रीय कारागार का नक्शा ही बदल गया है। पहले जहां सूखा ही नजर आता था, वहीं अब चारों और हरियाली ही हरियाली है।
बंदियों के स्वभाव पर भी असर
जेलर करणी सिंह बताते हैं कि जेल में पौधों की नर्सरी का काम आठ बंदी करते हैं, जिसमें से बंदी विद्याधर सैनी नर्सरी का पूरा काम जानता है। इसके नेतृत्व में सात अन्य बंदी नर्सरी में क्यारियां बनाने, पौध तैयार करने, पौधों को पानी देने सहित अन्य देखभाल के काम करते हैं। नर्सरी में काम करने वाले बंदियों के स्वभाव में भी विनम्रता आई है। पौधों की कोमलता उनके स्वभाव में भी देखी जा सकती है। उनका मन अब नर्सरी के पौधों में रमने लगा है।

यह-यह पौधे

– खेजड़ी, बेरी, पीपल, नीम, बरगद, शीशम, सरिश
– गुडील, गुडलक, चांदनी, सदाबहार, गेंदा, चम्पाकली, मोगरा, रात की रानी, गुलाब, मोरपंखी

– खजूर, अमरूद्ध, आम, नींबू, किन्नू, मौसमी, चीकू, पपीता, अनार, आंवला
– बिल्वपत्र, रेलिंग, शहतूत, दिल्लर, बकान, लैहसुवा

एक नजर में कारागार नर्सरी

– कारागार नर्सरी में ४५०० पेड़-पौधे उपलब्ध हैं।
– २००० नए पौधे तैयार करने का कार्य प्रगति पर।

– कारागार परिसर में दो हजार पेड़-पौधे लगाए गए हैं।
– जयपुर २५०, बीकानेर कोर्ट परिसर में ३०० पौधे लगाए गए हैं।

– दो हजार पौधे जेल से बाहर अन्य जगहों पर भिजवाए गए हैं।
जेल में मन उदास था। बैठा क्या करता। खेती-बाड़ी जानता था। इसलिए जेल प्रशासन से बागवानी करने की अनुमति मांगी, उन्होंने दे दी। वर्ष २०१६ से फूलों की पौध तैयार करनी शुरू की। पहले अकेला करता था लेकिन जब पौधे तैयार होने लगे तो जेल प्रशासन ने सात और बंदियों को इस काम में साथ लगा दिया। अब दो नर्सरी बना ली है। पौधे तैयार कर हमें परिवार जैसा ही सुकून मिल रहा है। हमें खुशी है कि हमारे तैयार किए पौधों की महक आम लोगों के घरों को महका रही है।- विद्याधर सैनी, सजायाफ्ता बंदी (कोपर खेतड़ी, जिला झुंझुनंू)
बंदी अपराध से दूर होकर सामाजिक कार्यों में लगें, ऐसे सरकार के प्रयास हैं। बीकानेर जेल में बंदियों ने नर्सरी तैयार की है, जिसमें फूलों से लेकर फलों की पौध तैयार की गई है। फलों की मिठास और फूलों की महक से बंदियों की जिंदगी संवर रही है। जेल में तैयार पौधों को फिलहाल सरकारी बंगलों में लगाया गया है। अभी १० हजार प्लास्टिक की थैलियां मंगवाई हैं। बंदी आगामी दिनों में १० हजार नई पौध तैयार करेंगे।- आर. अनंतेश्वरन, अधीक्षक बीकानेर केन्द्रीय कारागार

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