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बीकानेर। शहर में बढ़ते अपराधों पर पुलिस तनिक भी चिंतित नजर नहीं आ रही है। पुलिस का ध्यान सिर्फ और सिर्फ वाहनों में तेज आवाज में डेक बजाने, सार्वजनिक स्थान पर छिट-पुट जुआ खेलने वालों पर ही है। पुलिस इनके खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है। पिछले एक माह में पुलिस ने २७६ से अधिक कार्रवाई की है। पुलिस के इन कार्रवाइयों में उलझने से बड़ी आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने और बदमाशों पर निगरानी में चूक हो रही है। इसी का परिणाम है कि पिछले १५ दिन में दो फायरिंग, पांच चोरी एवं सात बलात्कार की घटनाएं हो चुकी हैं। इससे स्पष्ट होता है कि बदमाश पुलिस से बेखौफ हैं। पुलिस का स्लोगन आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय गलत साबित हो रहा है।

यह कहते हैं आंकड़े

जिला पुलिस के आंकड़े ही पुलिस की कार्यशैली की कहानी कह रहे हैं। पुलिस छिटपुट कार्रवाइयां कर कैसे अपने रैंकिंग स्तर को सुधार रही है, इसे इन आंकड़ों से समझा जा सकता है। पिछले साल जिलेभर में जुए-सट्टे की ६४४ कार्रवाई की गई, जिसमें से ४३२ शहर और २१२ ग्रामीण क्षेत्र में हुईं। इस साल अब तक ६६८ कार्रवाई की गई, जिसमें से ४५८ शहर और २१० ग्रामीण क्षेत्र में की गई। इसके अलावा तेज आवाज में डेक बजाने, धूम्रपान सहित खनन व शराब की छिटपुट कार्रवाई की जाती है। पिछले साल ७२७ की गई, जिसमें से शहर में ३५० और ग्रामीण क्षेत्र में ३७७ की गई जबकि इस साल अब तक कुल ७३३ कार्रवाई की गई है। इसमें ३५४ शहरी और ३७९ ग्रामीण क्षेत्र में हुई।

इन पर नहीं ध्यान…

शहर में गांजा, शराब, मादक पदार्थ, नशीली टैबलेट सरेआम बिक रही है। सार्वजनिक स्थानों पर शराब पार्टियां की जा रही हैं। बड़े-बड़े जुआ-घर व कसीनो चल रहे हैं। इतना ही नहीं अवैध हथियार आए दिन पकड़ में आ रहे हैं। हथियारों के सरगना तक पुलिस नहीं पहुंच पा रही है। चोरी की वारदातें थम नहीं रही। पुलिस चोरी की एक वारदात खोलती है तब तक चोर चार वारदातों को अंजाम दे चुके होते हैं। पुलिस के मामूली कार्रवाइयां में उलझने से चिंता बढ़ रही है। पुलिस ऐसे ही कामों में उलझी रहेगी तो क्राइम कंट्रोल कौन करेगा यह बड़ा सवाल आमजन को मथ रहा है।

इनका कहना है…
सरकार से थानों में जो नफरी मिली हुई है, उसका सदुपयोग नहीं हो रहा है। यही वजह है शहर में अपराध कंट्रोल नहीं हो रहा है। पुलिस गश्त प्रॉपर नहीं हो रही। पुलिस की अनदेखी के चलते बदमाश निडर हैं और आमजन भयभीत। वर्तमान हालात के मद्देनजर पुलिस प्रशासन को कार्यशैली में सुधार की जरूरत है। –

सुखदेव व्यास, सेवानिवृत मुख्य प्रशासनिक अधिकारी पुलिस विभाग एवं वरिष्ठ अधिवक्ता

इनका कहना है…

जुआ-सट्टा सामाजिक बुराई है। इससे युवा गलत दिशा में भटकते हैं। समाज से बुराई को खत्म करने के लिए पुलिस युवाओं को अपराध के दल-दल में धंसने से पहले बचाने का प्रयास कर रही है। ऐसा भी नहीं है कि पुलिस अपराध रोकने के प्रयास नहीं कर रही। आपराधिक घटनाएं होती हैं तो बदमाशों को पकड़ कर सलाखों के पीछे भी धकेल रही है। हर साल आरएनसी व जुआ-सट्टा की साढ़े सात सौ से अधिक कार्रवाई की जा रही है। पुलिस की यह कार्रवाइयां लगातार जारी रहेंगी।
शैलेन्द्र सिंह इंदौलिया, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर)

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