बीकानेर-फ्रेंड्स एकता संस्थान राजस्थान के तत्वावधान में शहीदे-आज़म अशफ़ाक़ उल्लाह खान वारसी हसरत की 94 वीं शहादत के मौके पर दो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन सम्मान समारोह रखा गया।
नरेन्द्रसिंह ऑडिटोरियम,नागरी भण्डार में आयोजित कार्यक्रम में बीकानेर के तीन साहित्यकारों-मालचंद तिवाड़ी(हिंदी),मनीषा आर्य सोनी(राजस्थानी) और असद अली असद(उर्दू)को शाल-माल्यार्पण और स्मृति चिन्ह पेश कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार आलोचक सरल विशारद ने कहा कि आज के दौर में जबकि हमारी आज़ादी और लोकतंत्र को खतरा है,शहीदों को याद करना चुनोतीपूर्ण कार्य है।उन्होंने कहा कि इस सम्मान के बाद सम्मानित होने वाली शख्सियतों की ज़िम्मेदारी और भी बढ़ गई है।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पूर्व महापौर हाजी मक़सूद अहमद ने कहा कि आज हम आजाद फ़ज़ा में सांस ले रहे हैं ये सब शहीदों की देन है।
विशिष्ठ अतिथि डॉ सुलक्षणा दत्ता ने कहा कि शहीदों को याद करना सराहनीय कार्य है।
कार्यक्रम की शुरुआत मुफ़्ती अशफाक उल्लाह खां गौरी ने तिलावते क़ुरआन के साथ की।।ज़ाकिर अदीब ने गायत्री मंत्र का पाठ किया।
पूर्व में संस्थान अध्यक्ष वली मुहम्मद गौरी वली रिज़्वी ने अशफाक उल्लाह खान की शहादत और क़ुर्बानियों पर रौशनी डालते हुए कहा कि वह हंसते हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए।
राजाराम स्वर्णकार,डॉ मुहम्मद फ़ारूक़ चौहान व क़ासिम बीकानेरी ने सम्मानित शख्सियतों का परिचय पेश किया।
वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रँगा ने स्वगताध्यक्ष के रूप में आगन्तुकों का स्वागत किया।
कार्यक्रम बृजेन्द्र गोस्वामी,,इंजी गिरिराज पारीक,गुलज़ार हुसैन,मास्टर अनीस अहमद ने अतिथियों समेत नेमचंद गहलोत को स्मृति चिन्ह भेंट किये।
कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर अदीब ने शहादत पर अनेक शे’र सुनाए।कार्यक्रम समन्वयक डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में गुलफाम हुसैन, हनुवंत गौड़,कैलाश टाक, अजित राज,विप्लव व्यास,शारदा भारद्वाज,मुहम्मद यासीन,ज़हीर हसन,बाबूलाल छंगाणी,आत्माराम भाटी,एड शमशाद अली,श्रीगोपाल सोनी, तुलसीराम मोदी,वहीद अहमद,बी एल नवीन आदि उपस्थित रहे।