बीकानेर.पीबीएम अस्पताल की व्यवस्थाओं को ठेका व्यवस्था डूबो रही है। प्रशासन चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर सुधार करने के बजाय ठेकेदारों के चंगुल में उलझ गया है। ठेकेदारों की मनमानी से बिगड़ती व्यवस्था और पीबीएम प्रशासन पर लगते आरोपों से छवि धूमिल हो रही है। पीबीएम में वाहन पार्किंग या हो कैंटीन का ठेका। इन ठेकों ने प्रशासन की हालत पतली कर दी है। ठेका देने के बाद अस्पताल प्रशासन इन ठेकेदारों के अधीन-सा हो गया है। ठेका पूरा होने के बावजूद पीबीएम प्रशासन इतना मजबूर है कि वह नया ठेका नहीं कर पा रहा है। वजह है कि ठेकेदारों ने कोर्ट की शरण ले ली है।
वाहन पार्किंग ठेका
पीबीएम में वाहन पार्किंग का ठेका पांच साल पहले एक साल के लिए दिया गया था। ठेकेदार और पीबीएम प्रशासन के बीच ठेका नियमों को लेकर अनबन होने के बाद से ठेकेदार ने कोर्ट की शरण ले ली। हालात यह है कि अब पांच साल से ठेका चल रहा है। ठेके की राशि भी पीबीएम प्रशासन को नहीं मिल रही है। हालत यह है कि पीबीएम प्रशासन दूसरा ठेका भी नहीं कर पा रहा है।
कैंटीन का ठेका
पीबीएम में कैंटीन का ठेका भी एक साल के लिए दिया गया वह भी विवाद के चलते एक्सटेंशन पर चल रहा है। पीबीएम प्रशासन ने तीन-चार महीने पहले कैंटीन का ठेका फिर से करने की प्रक्रिया शुरू की। कैंटीन का ठेका लेने के लिए ९० लोगों ने टेंडर भरा। अफसोस वाहन पार्किंग की तरह से कैंटीन ठेकेदार भी कोर्ट की शरण में चला गया। पीबीएम प्रशासन बेबस कुछ न कर पाया।
९० लोगों का अटका पैसा
पीबीएम अस्पताल सूत्रों के मुताबिक वाहन पार्किंग ठेका कोर्ट के चलते नया नहीं हो पा रहा था। ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने कैंटीन ठेके की समयावधि पूरी होने पर दुबारा करना चाहा। कैंटीन ठेके के लिए ९० लोगों ने टेंडर भरा। लाखों रुपए टैंडर फीस जमा कराई। अब हालत यह है कि न तो ठेका हो पा रहा है और ना ही टेंडर के लिए आवेदन करने वालों को वापस फीस लौटाई जा रही है।
कतरा रहा प्रशासन, डर रहे कार्मिक
अस्पताल सूत्रों की माने तो पीबीएम में ठेका पद्धति काफी हावी है। मैनपावर, सफाई, वाहन पार्किंग, कैंटीन सहित कई अन्य काम भी ठेका पद्धति के मार्फत हो रहे हैं। सभी ठेकेदारों ने अस्पताल प्रशासन की नाक में दम कर रखा है। किसी भी ठेके का काम संतोषजनक नहीं है। प्रशासन खुद ठेका पद्धति से उकता चुका है लेकिन मजबूर है। स्थिति यह है पीबीएम प्रशासन नए ठेके करने से कतरा रहा है तो कार्मिक डर रहे हैं। सरकारी नौकरी कार्मिक ठेकेदारों के चंगुल में फंस कर नौकरी खराब नहीं करना चाहते।
इनका कहना है
पार्किंग ठेकेदार पहले से कोर्ट पहुंचा हुआ है। इस वजह से पार्किंग का नया ठेका नहीं हो पा रहा। कैंटीन का ठेका करने की प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन ठेकेदार न्यायालय में चला गया, जिससे वह प्रक्रिया भी बीच में रोकनी पड़ी है। कैंटीन ठेके के लिए ९० लोगों ने आवेदन किया है। डॉ. परमेन्द्र सिरोही, पीबीएम अधीक्षक