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बीकानेर,जिले में कोरोना,डेंगू तथा अन्य मौसमी बीमारियों को लेकर अभी तक पूरी तरह से अंकुश नहीं लगा है। इसके अलावा कई ऐसी योजनाएं हैं जिनकी क्रियान्विति की सारी जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के जिम्मे हैं, लेकिन स्थिति यह है कि करीब एक साल से सीएमएचओ के पद पर तीन अधिकारी काबिज है। उसके बाद भी न तो मौसमी बीमारियों पर पूरी तरह अंकुश लग रहा है और न ही खाद्य पदार्थों के नमूनों की जांच की जा रही है। जबकि विभाग के संयुक्त निदेशक ने कई बार मुख्यालय पत्र देकर मार्गदर्शन मांगा है, लेकिन वापस जवाब एक का भी नहीं आ रहा है। जबकि विभाग के मंत्री भी बदल गए हैं।

पूर्व में सीएमएचओ पद पर डॉ. बीएल मीणा काबिज थे। उसके वक्त कोरोना की पहली लहर आ चुकी थी। उन्होंने इस पर अंकुश लगाने के लिए भागदौड़ भी की थी। इसके बाद
जब दूसरी लहर आई तो डॉ,सुकुमार कश्यप का तबादला नागौर से बीकानेर हो गया। उस वक्त उनकी
शिकायत भी प्रभारी मंत्री तक हो गई थी। इस शिकायत के बाद डॉ. कश्यप को जयपुर प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया और फोर्ट डिस्पेंसरी के प्रभारी डॉ. ओपी चाहर को कार्यवाहक सीएमएचओ की जिम्मेदारी दी गई। यहीं से इस पद को लेकर झगड़ा शुरू हो गया जो आज तक चल रहा है। डॉ. कश्यप कोर्ट में चले गए। कोर्ट ने डॉ. कश्यप के पक्ष में फैसला देते हुए बीकानेर के सीएमएचओ के पद पर कॉ.कश्यप को यथावत रखने के आदेश दिए।

खाद्य पदार्थों की जांच का अभियान भी ठप

जिले में तीन सीएमएचओ होने के
बाद खाद्य पदार्थों की जांच का अभियान ठप पड़ा है। दीपावली पर औपचारिकता के रूप में नकली और दूषित मावा के गोदामों पर कार्रवाई की थी। इसके बाद आज तक कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है। जबकि बाजार में नकली मसालें, दूषित खाद्य पदार्थों की बिक्री खुले आम हो रही है। इसके अलावा डेंगू तथा कोरोना पर भी पूरी तरह से अंकुश नहीं लिख पा रहा है

पद एक वेतन अलग अलग तरीकों से

सीएमएचओ के पद पर हालांकि तीन अधिकारी काबिज है,लेकिन इनका वेतन अलग-अलग जगह से उठ रहा है। डॉ. कश्यप का वेतन सीएमएचओ के पद से दिया जा रहा है। डॉ.मीणा का वेतन स्वास्थ्य विभाग बीकानेर हो गया। उस वक्त उनकी पोर्टमें किसी चिकित्सक के रिक्त पद से तथा डॉ. चाहर का वेतन फोर्ट डिस्पेंसरी से दिया जा रहा है। जबकि सीएमएचओ का सारा काम इस समय डॉ. चाहर देख रहे हैं।

मार्गदर्शन के लिए भेजे पत्र

तीनों सीएमएचओ के प्रकरण को समाप्त करने के लिए निदेशक को 30 नवंबर तथा 9 दिसंबर को अलग-अलग पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांगा गया है। जब भी सरकारह की ओर से जो मार्गदर्शन मिलेगा उसकी पालना की जाएगी।

डॉ. देवेन्द्र कुमार चौधरी,संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं बीकानेर जोन

कोर्ट के आदेश के बाद भी फैसला नहीं

कोर्ट का आदेश आने के बाद भी झगड़ा नहीं सुलझा है। डॉ. कश्यप ने इसकी शिकायत निदेशक और संयुक्त निदेशक तक की थी। उन्होंने निदेशक को भेजे पत्र में भी कहा है कि बार-बार कहने के बाद भी उन्हें सीएमएचओ पद पर कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा रहा है। 26 नवंबर को भेजे पत्र में डॉ. कश्यप ने कहा है कि आज तक उन्हें सीएमएचओ का कार्यभार नहीं दिया जा रहा है। इससे अदालत के फैसले की अवहेलना की जा रही है। पत्र में यह भी बताया गया है कि इस पर कार्यरत कार्यवाहर सीएमएचओ डॉ. ओपी चाहर सरकारी सभी पत्रों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं और सरकारी वाहन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। डॉ. चाहर अदालत के फैसले की अवहेलना कर रहे हैं।

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