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बीकानेर,7 दिसंबर की सुबह से ही राजस्थान के सभी सरकारी अस्पतालों के रेजीडेंट डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए हैं। इससे अस्पतालों की इमरजेंसी सेवाएं भी ठप हो गई है। ऑपरेशन थिएटर बंद हो गए हैं। अस्पतालों के बाहर मरीजों की भीड़ है। ऐसे मरीजों को संभालने वाला कोई नहीं है। रेजीडेंट डॉक्टरों की अनुपस्थिति के सामने सीनियर डॉक्टरों की उपस्थिति कोई मायने नहीं रखती है। सीनियर डॉक्टरों ने स्वयं ही ऑपरेशन का काम बंद सा कर दिया है। प्रदेशभर के रेजीडेंट डॉक्टर आठ सूत्रीय मांग पत्र को लेकर हड़ताल पर गए हैं। अब सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि जब कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मरीज बढ़ रहे हैं, तब रेजीडेंट डॉक्टर्स को हड़ताल नहीं करनी चाहिए। लेकिन सवाल उठता है कि जब अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राज्य सरकार 12 दिसंबर को जयपुर में कांग्रेस की राष्ट्रीय रैली करवा रही है, तब रेजिडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल पर आपत्ति क्यों की जा रही है। सीएम गहलोत स्वयं कह रहे है कि ओमिक्रॉन वायरस से घबराने की जरुरत नहीं है। जयपुर में 6 दिसंबर को भले ही एक संक्रमित व्यक्ति की मौत हो गई, लेकिन सरकार का सारा ध्यान 12 दिसंबर की रैली में अधिक से अधिक भीड़ जुटाने में लगा हुआ है। सीएम गहलोत के निर्देश पर प्रभारी मंत्रियों ने अपने अपने जिलों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक कर ली है। 7 दिसंबर को मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रभारी मंत्रियों ने रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर दी है। उम्मीद है कि एक लाख से ज्यादा लोग रैली में शामिल होंगे। चूंकि यह कांग्रेस की राष्ट्रीय रैली है, इसलिए रैली में गांधी परिवार के तीन प्रमुख सदस्य श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी उपस्थित रहेंगी। इसके अतिरिक्त पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल भी रहेंगे। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत तो मेजबान के रूप में रहेंगे। कांग्रेस की यह रैली महंगाई कम करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए हो रही है। कांग्रेस का मानना है कि जिस प्रकार किसानों के दबाव में मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस लिए हैं, उसी प्रकार रैली के बाद केंद्र सरकार को महंगाई पर नियंत्रण करना पड़ेगा। कांग्रेस की तरह ही रेजीडेंट डॉक्टर्स भी अशोक गहलोत सरकार दबाव डालने के लिए हड़ताल पर गए हैं। अन्य मांगों के साथ साथ रेजीडेंट की मांग है कि उन्हें मुख्यमंत्री चिरंजीव स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्यों से मुक्त किया जाए। इस योजना की वजह से अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। एक ओर मरीज बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर घोषणा के बाद भी एक हजार डॉक्टरों की भर्ती नहीं की जा रही है। फीस में विसंगतियां समाप्त करने, थीसिस सबमिट में रियायत देने जैसी मांगे भी शामिल हैं। डॉक्टरों का कहना रहा कि हमारी हड़ताल के लिए सरकार खुद जिम्मेदार है।

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