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बीकानेर में कूरियर बी ऑफिस में हथियारों से लैस नकाबपोश बदमाशों ने कर्मचारी को पीटा और करीब नौ लाख रुपए लूट कर ले गए। उधर,श्रीडूंगरगढ़ में एक नर्सिंग कर्मचारी से नकाबपोश बदमाशों ने लूट का प्रयास किया इससे पहले धानमंडी में व्यापारी से पुलिस वाले बनकर बदमाश सवा दो लाख रुपए लूट ले गए।

लूट की वारदातों का सिलसिला जारी है। पुलिस के लिए यह बड़ी चुनौती है। सर्दी के साथ लूट और छीनाझपटी की वारदातें बढ़ना कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। संभाग मुख्यालय पर इस तरह की वारदातें होना और ज्यादा गंभीर हो जाता है। यहां पर आइजी और एसपी, दो आइएएस अधिकारी बैठते है।

बीकानेर के व्यापारी दुकान और प्रतिष्ठान से अंधेरा होने के बाद घर लौटते है। इस समय उनके पास नकदी भी होती है। ज्वैलर्स कारोबारी के बाद सोना-चांदी भी। ऐसे में बीच रास्ते लूट की वारदातें पहले भी होती रही है। अब कुरियर ऑफिस में लूट की वारदात का जो सीसी टीवी फुटेज सामने आया है वह दहला देने वाला है।

किस तरह लुटेरे बेखौफ हो चुके है, इसकी बानगी यह वीडियो दे रहा है। जिसमें लाठी-सरियों से लैस लुटेरे घुसते है और कर्मचारियों की आंखों में मिर्ची डालकर मारपीट शुरू कर नकदी को थैले और जेबों में भरकर लुटेरे जिस तरह बेखौफ वारदात करते है, इससे एक बात साफ है कि उनके मन में पुलिस का जरा भी डर नहीं।

बीकानेर शहर में देर शाम से लेकर रातभर गश्त की व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। रात को चौक-चौराहों पर पुलिसकर्मी ड्यूटी के लिए भेजे भी जाते हैं तो वह संदिग्ध घूम रहे लोगों पर कितनी नजर रखते सवाल खड़े होते है। इस पर

गंगाशहर थाना क्षेत्र हमेशा से संवेदनशील रहा है। यहां व्यापारियों का बड़ा तबका रहता है। फिर ऑफिस, दुकान या व्यापारिक प्रतिष्ठान में घुसकर लूट करना जिले में अपराध के चरम की तरफ बढ़ने के संकेत है।

लूट की वारदात के बाद कुछ समय पुलिस अधिकारी भी थोड़ी गंभीरता दिखाते है। बाद में पुराने ढर्रे पर लौट आते है। अपराधी भी इसी ताक पर रहते है। वे फिर नई वारदात को अंजाम देने के लिए निकल पड़ते है। असल में पुलिस के इकबाल में कमी आने का सबसे बड़ा कारण थानाधिकारियों और थाने के डीओ के निष्क्रिय होना है। बड़ी वारदात के बाद पुलिस अधीक्षक, एएसपी, डीएसपी स्तर के कितने अधिकारी मौका वारदात पर जाकर घटना की जानकारी लेकर पुलिस को सक्रिय करते हैं इस पर अगली बार वारदात नहीं होना निर्भर करता है। अधिकारी तो दूर थानाधिकारी भी हर वारदात का मौका देखने नहीं जाते।

जिले के पुलिस कप्तान को इसे गंभीरता से लेना होगा। अन्यथा जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी ऐसी वारदातें और ज्यादा होने लगेगी। संज्ञान पुलिस महानिरीक्षक को भी लेना चाहिए। जिन पर बीकानेर रेंज के चारों जिलों में अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी है। यदि संभाग मुख्यालय पर ही इस तरह की वारदातें होने लगेगी तो दूसरे जिलों में अपराध नियंत्रण कैसे होगा।

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