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बीकानेर भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 में दुश्मन को नेस्तानाबूत करने में प्राणों की आहूति देने वाले शूरवीरों में शामिल करूण क्रांति मजूमदार (केके मजूमदार) का रविवार को 50वां शहादत दिवस है। केके मजूमदार को भारतीय सेना में 8 दिसम्बर 1969 को कमीशन मिला और बिहार रेजिमेंट की 10वीं बटालियन में पोस्टिंग हुई। इस बटालियन ने भारत-पाक युद्ध 1971 में प्रसिद्ध 4 कोर, 57 पर्वतीय डिविजन तथा 311 पर्वतीय बिग्रेड के अंग के रूम में हिस्सा लिया।

दुश्मन के चक्रव्यूह को तोड़ा

अंतरराष्ट्रीय सीमा से किलोमीटर दूर तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में स्थित अखउरा शहर टाइटस नदी से तीन तरफ से घिरा हुआ था। पाक सेना ने माइन फील्ड तथा टैंकों से किलेबंदी कर इसे अभेद बना रखा था। इस पोस्ट पर विजय प्राप्त करने के लिए 1 दिसम्बर 1971 को 10वीं बिहार बटालियन को जिम्मेदारी सौंपी गई।

इसके बाद युद्ध की घोषणा के बाद 10वीं बिहार बटालियन पहली रेजीमेंट थी, जिसने पाकिस्तान में कदम रखा। युद्ध में भारतीय सेना को शुरुआत कामयाबी मिली और पाकिसतन के एक अधिकारी, एक जेसीओ और 26 जवान मारे गए। पूर्वी पाकिस्तान में लड़े इस युद्ध को ‘कैक्टस लिली’ नाम दिया गया। भारतीय सेना ने अखउरा पर 4 दिसम्बर को निर्णायक हमला किया। दुश्मन से लोहा लेते हुए बिहार रेजीमेंट के 6 अधिकारी और

46 जवानों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देकर युद्ध में विजय प्राप्त की। शहादत देने वालों में बीकानेर निवासी 22 वर्षीय सैकेण्ड लेफ्टिनेंट करूण क्रांति मजूमदार भी शामिल थे। उनके पिता वायुसेना अधिकारी एमएल मजूमदार और माता खुखुरानी मजूमदार थे। बाद में मजूमदार परिवार ने अपने छोटे बेटे कर्नल बीके मजूमदार को भी सेना में भेजते समय कोई झिझक नहीं दिखाई। आज शहादत दिवस पर केके मजूमदार को शत-शत नमन।

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