बीकानेर करीब चालीस पहले आंवटित किए गए अहस्तांतरणीय भूखण्ड वितरण पत्रकों (पट्टा) का हस्तांतरण प्रशासन शहरों के संग अभियान में भी नहीं हो पा रहा है। आवेदक और उनके परिवार नगर विशेष निगम और नगर विकास न्यास के चक्कर निकाल रहे है। परन्तु इन आंवटन पत्रों का न हस्तांतरण किया जा रहा है और ना ही पुराने पट्टों के रूप में मान्यता देकर परिवर्तित किए जा रहे है। चार दशक पहले स्थानीय निकायों की ओर से प्रधानमंत्री 21 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत इन भूखण्ड वितरण पत्रकों वितरण सैकड़ों भूमिहीन परिवारों को किया गया था।
पुकारते हैं इंदिरा पट्टा
वर्ष 1981 में भूमिहीन परिवारों को निशुल्क भूखण्डों का वितरण किया गया था। ऐसे परिवारों को आवास निर्माण के लिए भूखण्ड वितरण पत्रक (पट्टा) प्रदान किए गए। इन भूखण्ड वितरण पत्रकों पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का फोटो लगी होने के साथ ‘पट्टा’ लिखा होने से आम बोलचाल की भाषा में इन्हें “इंदिरा पट्टा’ कहा जाता है।
न कच्ची बस्ती का लाभ, न लीज फ्री होल्ड
वर्ष 1981 में जिन स्थानों पर इन भूखण्ड वितरण पत्रक प्रदान किए गए थे, उनमें से कुछ स्थान तब कच्ची बस्ती के रूप में अधिसूचित नहीं थे। बाद में कच्ची बस्ती में अधिसूचित हो गए और आज भी कच्ची बस्ती है।
ऐसे में अब कच्ची बस्ती मानी जाए अथवा नहीं, इसे लेकर अधिकारी संशय में है। निगम अधिकारियों के अनुसार ये भूखण्ड वितरण पत्रक अधिकार पत्र नहीं है।
रूपचंद पिछले एक महीने से भी अधिक समय से निगम में इन भूखण्ड वितरण पत्रकों को लेकर चक्कर निकाल रहा है। रूपचंद के अनुसार उनके परिवार में हुडाराम तथा
बन्नाराम के नाम निशुल्क भूखण्ड अधिकार पत्र कच्ची बस्ती में दिए जाते है। कच्ची बस्ती डी नोटिफाइड नहीं होने के कारण 69-ए का लाभ भी नहीं दिया जा सकता है। न हो रहे हस्तांतरण न मिल रहा लाभ
वितरण पत्रक जारी है। दशकों से आवासों में रह रहे है। ये अहस्तांतरणीय होने के चलते अन्य कोई लाभ नहीं ले पा रहे है। एक आवास नत्थूसर गेट हरिजन बस्ती व दूसरा हरिजन बस्ती बड़ी गुवाड़ क्षेत्र में है। रूपचंद के अनुसार वर्तमान में एक क्षेत्र निगम में और एक न्यास क्षेत्र में है। इन आंवटन पत्रों पर बैंक ऋण तक नहीं मिल रहा। जबकि दस साल पहले कच्ची बस्तियों के जारी अधिकार पत्रों को इस बार हस्तांतरणीय किया जा रहा है।