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जयपुर। प्रदेश में निजी स्कूल का मामला अभी तक नही थमा है, फीस को लेकर निजी स्कूलों हठधर्मिता लगातार बढ़ती जा रही है, स्कूलों की शिकायत लेकर शिक्षा अधिकारी और मंत्री के पास पहुंच रहे अभिभावकों को अनसुना किया जा रहा है, जिनकी शिकायतों पर विभाग कार्यवाही करने पहुंचता है तो स्कूल संचालक उनके साथ बदसलूकी कर रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ का आरोप है कि राज्य सरकार के संरक्षण के चलते निजी स्कूल संचालक अभिभावकों, छात्र-छात्राओं सहिय शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों के साथ बदसलूकी कर दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार कर रहे है। ” साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम अवहेलना कर रहे है जिसको राज्य सरकार ने अपना पूर्ण समर्थन दिया हुआ है। मजबूर अभिभावकों को दोहरी मार झेलने पर मजबूर किया हुआ है। एक तरफ कोरोना का डर तो दूसरी तरफ अधूरी पढ़ाई, ना रोजगार ना सुविधा।

प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने जानकारी देते हुए बताया कि निजी स्कूलों ने छात्र-छात्राओं के भविष्य को ताक पर रखकर फीस वसूली का माध्यम बना लिया है, प्रदेशभर में हजारों शिकायतों का अंबार लगा हुआ है किंतु कही कोई सुनवाई नही हो रही है। अभिभावकों को टीसी, रिजल्ट सहित बच्चों को परीक्षाएं दिलवाने के लिए विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिसमे सबसे बड़ी समस्या कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के विद्यार्थियों को उठानी पड़ रही है। इनके अभिभावकों से मनमाने तरीके से फीस वसूली सहित दबाव बनाया जा रहा है और डरा-धमका कर फीस वसूली की जा रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट 03 मई व 1 अक्टूबर को अपने आदेश में स्पष्ट कह चुका है कि फीस एक्ट 2016 के तहत निर्धारित फीस ही वसूल की जा सकती है और फीस के चलते किसी भी छात्र का रिजल्ट, परीक्षा और टीसी नही रोकी जा सकती है। बावजूद इसके निजी स्कूल राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त कर अभिभावकों के साथ बदसलूकी कर रहे है और अधिकारियों तक को खदेड़ रहे है।

*बढ़ते कोरोना के मामले भाजपा और कांग्रेस की सार्वजिनक रैलियों पर लगे रोक*

संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की पूरे विश्व मे कोरोना के नए वेरियंट ने स्थिति गम्भीर बना दी है, विश्व के 23 देश हाईअलर्ट मोड़ पर आ चुके है, देश ने लगातार कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है बुधवार को देश मे 98 हजार नए मामले सामने आए, 477 लोगो की कोरोना से मौत हो गई, गुरुवार को 1 लाख से अधिक नए मामले नोट किये गए गुरुवार को भी चार सौ से अधिक मौत देखी गई उसके बावजूद भाजपा और कांग्रेस देश के नागरिकों की सुरक्षा करने के बजाए अपने-अपने राजनीतिक हितों को साधने में लगे हुए है और राजधानी जयपुर की सड़को पर हजारों की भीड़ एकत्रित करने की योजना बना रहे है। वही दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत है जो बढ़ते कोरोना के मामलों पर प्रदेश की आमजन को नसीहतें बांट रहे है किंतु खुद अमल में नही ला रहे है अपनी नाकामियों का ठीकरा जनता पर फोड़ने की बजाय मुख्यमंत्री को राजधर्म का पालन करते हुए सार्वजिनक स्तर पर आयोजित होने वाले सभी राजनीतिक कार्यक्रमो पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए। 5 दिसम्बर को भाजपा के रोड़ शो और 12 दिसम्बर को कांग्रेस की रैली पर सम्पूर्ण प्रतिबन्ध लगना चाहिए। पूर्व में भी मुख्यमंत्री के लापरवाही भरे आदेश ने प्रदेश की जनता को डराया है उसी का खामियाजा है जिसे प्रदेश और अभिभावकों को भोगना पड़ रहा है।

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