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बीकानेर, मंत्री बनने के बाद स्वागत और सम्मान समारोह में तल्लीन मंत्रियों के लिए अगली डगर कठिन है। राजस्थान में गहलोत सरकार के मंत्री मंडल पुर्नगठन के बाद मंत्रियों के तार कसने शुरू हो गए है। पीसीसी बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कह दिया है जिन मंत्रियों की रिपोर्ट ठीक नहीं होगी आलाकमान उन पर एक्शन ले सकता है। यह तय है कि बजट सत्र के बाद कई मंत्री जाएंगे ही। जिन्होंने संकट के समय सरकार का साथ दिया उनको मौका देने का मुख्यमंत्री का स्पष्ट आश्वासन है। कोई भी मंत्री अब अपना एजेंडा लेकर काम नहीं कर सकता। हर मंत्री को राजस्थान स्तर पर अपने विभाग की कार्य दक्षता दिखानी ही होगी। मुख्यमंत्री पार्टी के भीतर और सरकार के संकट से उबरने के बाद मुखर हैं। उनका लक्ष्य है पीड़ित जनता का काम हो और राज्य का समग्र रूप से विकास हो। मुख्यमंत्री वास्तव में राज्य में सुशासन और जनता की खुशहाली चाहते हैं। इसी के चलते मंत्रियों को जन सुनवाई के लिए पाबंद किया है। साथ समस्याओं के निस्तारण की समयबद्ध सुनिश्चिता के भी निर्देश दिए हैं। शिक्षकों के स्थांतरण में पैसे और भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की घटनाओं से मुख्यमंत्री आहत है। इन घटनाओं पर उनकी पीड़ा सार्वजनिक रूप से झलकती है। अशोक गहलोत धरती से जुड़े जन नेता है। वे राजनीतिक साधना के बूते यहां तक पहुंचे हैं। वे आम आदमी की तकलीफों और पीड़ाओं को समझते हैं। जनता में उनकी उतनी ही विश्वसनीयता है। अब गहलोत अपनी साख और राजनीतिक प्रतिष्ठा के अनुरूप काम करेंगे ही। मंत्रियों को संभलकर रहना होगा। मंत्री जन कल्याण के लिए बने हैं अगर कोई मंत्री अन्य इरादा रखते हैं तो गहलोत अब शायद ही पूरा होने दें। मंत्री जनता की सुने और जनता के उचित काम करें। अपने राजनीतिक सीटे सेकने और चहेतों के घर भरने बंद करें। तभी जनहित के सही काम हो पाएंगे।

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