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बीकानेर। नगालैंड से फर्जी तरीके से आम्र्स लाइसेंस बनवाने के बहुचर्चित मामले में पुलिस ने 63 लोगों को क्लीन चिट दे दी है। इनमें शहर के रसूखदार और हिस्ट्रीशटर भी शामिल हैं। इस प्रकरण में अब चालान पेश करने की तैयारी की जा रही है। अभियोजन स्वीकृति के लिए फाइल कलेक्टर को भेजी गई है। नगालैंड से फर्जी तरीके से लाइसेंस बनवाने और आम्र्स खरीदने के चार साल पुराने मामले की जांच पूरी हो गई है।
दीमापुर कलेक्टर की रिपोर्ट के अधार पर पुलिस ने 21 लोगों को मुल्जिम माना है। वर्ष 2017 में यह मामला उजागर हुआ था। तब पुलिस की जांच में बीकानेर के 84 लोग सामने आए, जिन्होंने फर्जी तरीके से नगालैंड से आम्र्स लाइसेंस लेकर माउजर और कारतूस खरीदे थे।
इनमें से पांच के विरुद्ध नया शहर थाने में नामजद एफआईआर दर्ज हुई थी। पुलिस का दबाव बना तो लोगों ने आम्र्स और लाइसेंस थानों में जमा कराए। अब पुलिस ने अपनी जांच में 63 लोगों को क्लीन चिट दे दी है तथा 21 लोगों को मुल्जिम माना है।
दरअसल लाइसेंस वेरिफिकेशन के लिए पुलिस ने दीमापुर कलेक्टर को पत्र लिखा था। उन्हें 84 में से 63 लोगों को लाइसेंस जारी करने की पुष्टि की है। अन्य 21 लोगों के मामले में कहीं से कोई क्लेरिफिकेशन नहीं आया। दीमापुर कलेक्टर की रिपोर्ट को आधार मानते हुए नया शहर पुलिस ने चालान पेश करने की तैयारी कर ली है और अभियोजन स्वीकृति के लिए फाइल कलेक्टर को भेज दी है।
पुलिस जांच में यह हुआ खुलासा
अवैध आम्र्स लाइसेंस की जांच के दौरान पता चला था कि गंगाशहर में चौपड़ा बाड़ी निवासी भंवरलाल ओझा, सीकर के त्रिलोकपुरा निवासी धर्मवीरसिंह और डूंगरपुर का विजय नगालैंड से लाइसेंस बनवाने का काम करते हैं। भंवरलाल कई साल से नगालैंड में रह रहा था। उसकी वहां कलेक्ट्रेट में जानकारी थी। वह रुपए देकर नगालैंड का स्थाई-अस्थाई पते के आधार पर लाइसेंस बनवाता था। ये लोग तीन से चार लाख में हथियार दिलाने का भी काम करते थे। इस मामले में उदयपुर पुलिस की छानबीन में भी कई खुलासे हुए थे।
कानूनी प्रावधान आम्र्स एक्ट में कलेक्टर देते हैं अभियोजन स्वीकृति
आम्र्स एक्ट के तहत यह प्रावधान है कि मुलजिमों के विरुद्ध चालान पेश करने के लिए अभियोजन स्वीकृति कलेक्टर से लेनी पड़ती है। धारा 4/25 आम्र्स एक्ट में धारदार हथियार और 3/25 आम्र्स एक्ट की श्रेणी में बारूद वाले हथियार आते हैं।
भास्कर रिकॉल : 2017 में हुई थी नगालैंड से अवैध आम्र्स लाइसेंस बनवाने की एफआईआर
राज्य विशेष शाखा व अन्य सूत्रों से पुलिस को पता चला था कि नगालैंड से बड़ी संख्या में लोगों ने अवैध रूप से आम्र्स लाइसेंस बनवाए हैं और आम्र्स भी खरीदे हैं। इस मामले में पुलिस परामर्श एवं सहायता केंद्र के एएसपी सुरेंद्र सिंह की रिपोर्ट पर नया शहर थाने में 10 अक्टूबर 2017 को एक एफआईआर दर्ज हुई, जिसमें पूर्व पार्षद दीपक आरोड़ा, सुभाषपुरा निवासी जावेद खान, पुलिस लाइन के सामने रहने वाला दारा, रतन सागर कुआं निवासी नितिन चड्‌ढ़ा और जस्सूसर गेट निवासी जुगल राठी को नामजद किया गया था।
मामले की जांच के लिए इंस्पेक्टर महेंद्र दत्त को जांच के लिए नगालैंड भेजा गया तो पता चला कि दीमापुर के डिप्टी कमिश्नर ने पांचों को दीमापुर का निवासी दर्शाते हुए रिटेनरशिप की आड़ में अवैध रूप से लाइसेंस जारी कर दिए। इसके आधार पर इन्होंने आम्र्स भी खरीद लिए। जांच में पांचों द्वारा बताए गए अपूर्ण अस्पष्ट पतों को खोजा नहीं जा सका।
उसके बाद तत्कालीन एसएचओ बहादुर सिंह ने विभिन्न आम्र्स डीलर से संर्पक किया तो 84 ऐसे लोगों के नाम सामने आए, जिन्होंने नगालैंड से ऑल इंडिया का लाइसेंस लेकर आम्र्स खरीदे थे। दलालों के माध्यम से खुद को अवैध तरीके से दीमापुर, नगालैंड का निवासी बताकर लाइसेंस बनवाए गए। इसमें दीमापुर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत सामने आई थी।

लाइसेंस और आम्र्स की सूचना जिला मजिस्ट्रेट व विभिन्न पुलिस थानों तक में नहीं दी गई थी। अवैध रूप से लाइसेंस बनवाकर आम्र्स खरीदने वालों में हिस्ट्रीशीटर, अपराधी एवं असामाजिक तत्वों के अलावा भू-माफिया भी शामिल थे। उनके इस कृत्य से प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा होने की आशंका एफआईआर में जताई गई थी।
इन पांचों के विरुद्ध धारा 420, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। हालांकि बाद में सभी ने लाइसेंस और हथियार सरेंडर कर दिए। दीपक अरोड़ा ने गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट से स्टे ले लिया। नया शहर एसएचओ का कहना है कि इन पांचों के लाइसेंस जारी होने की रिपोर्ट आ गई है। इसलिए इन्हें मुल्जिम नहीं माना गया है।

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