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जयपुर। राजस्थान में बिजली की अधिकतम डिमांड से करीब 2400 मेगावाट बिजली कम पड़ रही है। रोजाना आने वाली कोयला रैक भी 21 से घटकर 16-17 ही रह गई है। इस कारण प्रोडक्शन नहीं बढ़ पा रहा है। प्रदेश के पावर प्लांट्स में 7 बिजली यूनिट्स बंद चल रही हैं। राज्य के लोड डिस्पैच सेंटर के निर्देश पर ये यूनिट्स बंद होने की बात उत्पादन निगम कह रहा है। साथ ही, रबी सीजन में 800 मेगावाट तक बिजली किसानों के लिए भी कम पड़ रही है। इसकी बिड लगाई गई है। बड़ा सवाल खड़ा होता है कि खुद के पावर प्लांट्स को बंद कर बिजली एक्सचेंज के जरिए और बिड लगवाकर महंगी बिजली क्यों खरीदी जा रही है?

 

 

 

 

सूत्रों के मुताबिक, बाहर से सस्ती बिजली खरीदने की बात कहकर प्लांट्स को बंद करवाया जाता है। फिर महंगी बिजली खरीदी जाती है। कोयला संकट जब नहीं था, तब भी इसी तरह बिजली की खरीद की जाती रही है। इससे विभाग की कार्यशैली पर ही सवाल उठ रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

 

प्रदेश को रोजाना 27 रैक कोयला चाहिए

 

 

 

 

राजस्थान के सभी पावर प्लांट्स की बंद पड़ी यूनिट्स को चलाने के लिए कुल 1 लाख 8 हजार टन के करीब कोयला रोजाना चाहिए। यानी 27 रैक कोयला प्रदेश को रोजाना मिले, तो सभी यूनिट्स शुरू हो पाएंगी। फिलहाल सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 250-250 मेगावाट की 5 यूनिट्स बंद हैं। इन्हें चलाने के लिए 5 रैक कोयला रोज चाहिए। छबड़ा पावर प्लांट में भी 2 यूनिट बन्द हैं। प्लांट में पिछले दिनों हुए हादसे के बाद से ये यूनिट्स बंद पड़ी हैं। इनकी मरम्मत होने पर 250-250 मेगावाट की इन यूनिट्स को फिर चालू करने के लिए 2 रैक कोयला रोज चाहिए।

 

 

 

 

 

 

 

केन्द्र सरकार ने माना कोयला संकट

 

 

 

 

कोयला संकट है, ये बात केन्द्र सरकार ने भी मान ली है। हाल ही में केन्द्रीय कोयला सचिव और राजस्थान के एसीएस एनर्जी की जयपुर में हुई मीटिंग में केन्द्रीय कोयला सचिव अनिल जैन ने कहा कि देश में अभी कोयले का संकट खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में जहां से भी और जिस माध्यम से भी कोयला उपलब्ध हो, थर्मल बिजली घरों में स्टोरेज कर लिया जाए। ताकि कोयले की कमी से बिजली प्रोडक्शन न घटे। उन्होंने कोयला संकट का कारण बताया कि इंटरनेशनल मार्केट में कोयले के भावों में तेजी के चलते इम्पोर्ट कोयला महंगा हो गया है। इम्पोर्टेड कोयला बेस्ड पॉवर यूनिट्स में कोयले की मांग में बढ़ोतरी हो गई है। उनकी मांग बढ़ने से स्थानीय कोयला खानों पर दबाव बढ़ा है। केन्द्र सरकार ने राजस्थान को स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि रेल या सड़क किसी भी रास्ते से ज्यादा से ज्यादा कोयला रैक मंगवाने के बंदोबस्त राजस्थान को करने होंगे। साथ ही यह आश्वासन दिया है कि केन्द्र सरकार कोयला सप्लाई में राजस्थान को पूरी मदद करेगी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

राजस्थान में मौजूदा वक्त में चल रहे बिजली घरों के लिए केवल 7 दिन का ही कोयला स्टॉक हो पा रहा है, जबकि यह 30 दिन से ज्यादा का होना चाहिए। एसीएसस एनर्जी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने केन्द्र सरकार से कम से कम 20 दिन का कोयला एडवांस स्टॉक मांगा है।

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