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बीकानेर,नोखा विधायक बिश्नोई ने कहा कि बीकानेर जिले में बड़े पैमाने पर सरसो व गेहूं की बिजाई हुई हैं और अब सरसो की पहली और दूसरी सिंचाई में यूरिया अति आवश्यक है परंतु यूरिया की नियमित आपूर्ति नहीं हो पा रही है जिले सहित प्रदेश भर में यूरिया की भयंकर क़िल्लत है। मजबूरन अन्नदाता बिना यूरिया के अपनी फसल की सिंचाई कर रहा है जिससे फसल के उत्पादन में गिरावट को लेकर प्रदेश का अन्नदाता बड़ा चिंतित है।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि उर्वरक कंपनियों को निर्देशित कर जिले में नवम्बर माह के अंत में 2 लाख बैग यूरिया व दिसंबर माह के पहले सप्ताह 1लाख बैग, दुसरे सप्ताह में 1लाख बैग, तीसरे सप्ताह में 1लाख बैग, चौथे सप्ताह में 1लाख बैग व जनवरी माह में 2लाख बैग यूरिया की अति आवश्यक आपूर्ति करवा कर प्रदेश के अन्नदाता की यूरिया खाद की परेशानी दूर करें, *मेरे प्रभार का संगठन जिला व अन्न का कटोरा कहे जाने वाले श्रीगंगानगर जिले में करीब 3 लाख हैक्टेयर सरसो की बुवाई हुईं और अब वहा वरीयता के हिसाब से आईजीएनपी नहर में पानी चल रहा है, वहां भी अति शीघ्र 5 लाख बैग यूरिया की जरूरत है, वहां तुरंत सप्लाई देवे ताकि अन्न के कटोरे वाले अन्नदाता को भी यूरिया मिल सके ।* साथ में समस्त उर्वरक उत्पादन कंपनियों ने इस डीएपी और यूरिया की किल्लत के समय में आपदा को अवसर में बदलने का कोई मौका नहीं छोड़ा और कोई भी उर्वरक कम्पनी बीज व पेस्टिसाइड्स का उत्पादन नही करती है, फिर भी उर्वरक कम्पनियों ने अन्य कंपनियों से खरीद कर डीएपी व यूरिया के साथ बीज व निम्न स्तर का पेस्टिसाइड्स दुकानदारों को अनिवार्य रूप में दिया और दुकानदार किसानो को खरीदने हेतु बाध्य कर रहे है। उर्वरक कंपनियों ने जो उत्पाद डीएपी और यूरिया साथ दिए उसमे में से कुछ उत्पाद कृषि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित हैं, जैसे पीजीआर दानेदार, पीजीआर लिक्विड, व फसल बढ़वार और पैदावार के नाम पर कई तरह के उत्पाद कई कंपनिया बनाती हैं जो कृषि मंत्रालय भारत सरकार ने बैन कर रखा है। उर्वरक कंपनिया इसे डीएपी और यूरिया के आड़ में बेच रही व उर्वरक कम्पनियां इस मुनाफे में भी रुकी नही है वे निम्न स्तर की कंपनियों से लेकर जिंक,सल्फर, कीटनाशक दवाइयां भी डीएपी व यूरिया के साथ अटैच कर बिना जरूरत का इस तरह का सामान दुकानदारों व किसानो को बेचती हैं। जो उर्वरक कम्पनियों की प्रदेश के अन्नदाता के साथ सरासर लूट है।
श्रीमान  आग्रह हैं कि आप यूरिया की नियमित सप्लाई करवाकर साथ में उर्वरक कम्पनियों को पाबंद करे की वो किसी भी तरह के दूसरे उत्पाद यूरिया व डीएपी के साथ खरीदने हेतु अन्नदाता किसान को बाध्य ना करें ।

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