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बीकानेर नगर निगम के वर्तमान बोर्ड गठन के दो साल बाद भी कांग्रेस निगम में नेता प्रतिपक्ष नहीं बना सकी है। कांग्रेस पार्षद बिना नेता प्रतिपक्ष के सदन की कार्यवाही में भाग ले रहे हैं और आमजन की समस्याएं भी रख रहे है। नवम्बर 2019 से अब तक नगर निगम की साधारण सभा की तीन बैठकें हो चुकी हैं, इन तीनों बैठकों में कांग्रेस पार्षदों ने बिना नेता प्रतिपक्ष सदन की कार्यवाही में भाग लिया। हालांकि नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी में कांग्रेस के कई पार्षदों के नाम अब तक सामने आए है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व की ओर से किसी एक नाम पर मोहर नहीं लग पाई है। कांग्रेस के कई की पार्षद जयपुर तक नेता प्रतिपक्ष के लिए दौड़ लगा चुके है। नेता प्रतिपक्ष को लेकर कई बार कांग्रेस पार्षदों की धड़ेबंदी भी सामने आ चुकी है।

नेतृत्व नहीं

लोकतंत्र की मजबूती के लिए सशक्त विपक्ष का होना आवश्यक है। एकजुट और नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में विपक्ष सरकार के हर कार्यों पर नजर रखता है और आमजन की आवाज बनकर सदन के अंदर और नहीं होना कई बार सामने आया है। बाहर जनता की आवाज का बुलंद
है। नेता प्रतिपक्ष का नेतृत्व नहीं नेता प्रतिपक्ष का नेतृत्व नहीं मिलने मिलने से कांग्रेस पार्षदों का विरोध से पिछले दो साल से कांग्रेस पार्षद भी समय समय पर बिखरा हुआ नजर आए है। जिस एकजुटता और हालांकि कई अवसरों पर कांग्रेस ताकत के साथ आमजन को हो रही समस्याओं की पैरवी विपक्ष के धर्म के नाते कांग्रेस पार्षदों की होनी चाहिए, वह अब तक कम ही नजर नहीं आई है। हालांकि कई अवसरों पर कांग्रेस पार्षदों ने धरना, प्रदर्शन और विरोध प्रकट कर लोगों और वार्डों की समस्याओं को मुखरित से उठाया है, लेकिन एक जाजम पर सभी कांग्रेस पार्षदों का उपस्थित नहीं होना कई बार सामने आया है।

धड़ों में बंटे पार्षद

नेता प्रतिपक्ष का नेतृत्व नहीं मिलने से पिछले 2 सालों से कांग्रेस पार्षद जड़ों में बैठे नजर आए हैं हालांकि कई अवसरों पर कांग्रेस पार्षद सहित स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने पार्षदों के एक होने की बात कही है लेकिन समय समय पर हुए विरोध, धरना प्रदर्शन बैठकों आदि में कई पार्षदों की रही अनुपस्थिति और अपनी अपनी राग अलापने की स्थितियां सामने आई है उसने एकजुटता पर सवाल खड़े किए है। यही नहीं नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में शामिल कई पार्षदों की बीकानेर से जयपुर तक रही दौड़ के दौरान भी अलग-अलग धड़ो में पहुंचने और नेता मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों से की गई मुलाकातों ने भी धड़ेबंदी की ओर इशारा किया है।

80 निर्वाचित, 12 मनोनीत पार्षद

नगर निगम में 80 निर्वाचित और 12 मनोनीत पार्षद है। निर्वाचित 80 पार्षदों में कांग्रेस पार्षदों की संख्या 30 है। जबकि भाजपा के 38, निर्दलीय 11 और एक पार्षद बसपा से है। 12 पार्षदों का मनोनयन राज्य सरकार की ओर से किया है। मजबूत विपक्ष के लिए कांग्रेस के पास पर्याप्त पार्षदों की संख्या है। फिर भी नेता प्रतिपक्ष के नहीं होने का खमियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है। नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में जिस मजबूती और एकता के साथ जनता की आवाज को सदन के अंदर और बाहर रखे जाने की उम्मीद जनता कर रही है, वह अब तक देखने को नहीं मिली है।

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