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बीकानेर,पद पाने के लिए मची होड कुछ लोगों ने पद पा लिया है। उनसे लाभ की आस से कई लोग पद पाने वालों के पीछे भाग रहे हैं। दुर्भाग्य है। यह हमारे समाज और राजनीति की नियति बन गई है। हम निस्वार्थ समाज के हित में काम करने वाले लोगों की का सम्मान नहीं करते। येनकेन पद पाने वाले स्वार्थी पद लोलुप लोगों के पीछे भागते हैं। ऐसे लोग स्वार्थपूर्ति कर जब पद से हट जाते हैं तो समाज हेय दृष्टि से देखता है। पद अंधेर पक्ष का चंद्रमा है। चमकता तो है पर संसार को शीतलता नहीं देता। प्रतिष्ठा पूर्णिमा का चांद है जिसकी महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। प्रतिष्ठा समर्पन, सेवा और अच्छे आचरण और व्यवहार से मिलती है। आज के सामाजिक और राजनीतिक जीवन में येनकेन प्रकारेण पद तो पा लेते हैं, परंतु वास्तविक सम्मान नहीं मिलता। पद से हटने के बाद लोग नजर ही नहीं मिलाते। पद के साथ प्रतिष्ठा स्वत नहीं मिलती। प्रतिष्ठा पाने के लिए अच्छा चाल चलन और चरित्र के साथ धैर्यपूर्वक लम्बी साधना करनी पड़ती है। इस बात को लोग समझने को तैयार ही नहीं है। पदों के पीछे भागते रहते हैं प्रतिष्ठा कुछ है नहीं। समाज और मानवता की अगर सच्चे मायने में ही सेवा करनी है तो पद के पीछे भागने की कहा जरूरत है। निस्वार्थ काम करते जाइए ना। समय आने पर परिणाम मिल जाएगा। केवल पद ही चाहिए तो बात अलग है फिर तो पूरे जीवन प्रतिष्ठा नहीं पा सकोगे। भले ही जोड़ तोड़ या धन बल, जन बल से पद पा लो। समाज में स्थान ( प्रतिष्ठा ) नहीं मिलेगी। ऐसे पद पाने वाले हजारों विस्मृतियों के व्योम में खो गए हैं। आप भी खो जाएंगे। प्रतिष्ठा पाने वाले ही याद रखे जाएंगे। पदों के पीछे मत दौड़ई प्रतिष्ठा वाला काम कीजिए।

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