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राजस्थान हाईकोर्ट ने REET लेवल-1 में बीएसटीसी अभ्यर्थियों को ही योग्य माना है। इससे बी.एड की योग्यता रखने वाले करीब 9 लाख अभ्यर्थी लेवल-1 के लिए अयोग्य होकर बाहर हो गए हैं। राजस्थान हाईकोर्ट के इस फैसले का लेवल-1 और लेवल-2 के अभ्यर्थियों पर क्या असर पड़ेगा? कट ऑफ कितना जाएगा? क्या लेवल-2 के अभ्यर्थी जिन्हें बाहर किया वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। क्या भर्ती अटक जाएगी? ऐसे कई सवाल लाखों अभ्यर्थियों को परेशान कर रहे हैं। दैनिक भास्कर ने कोर्ट के इस फैसले के असर पर एक्सपर्ट से राय ली तो कई फैक्ट सामने आए। सबसे पहले समझ लेते हैं विवाद क्या था और हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया है।

एनसीटीई का नोटिफिकेशन, जिससे शुरू हुआ विवाद
एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन) ने साल 2018 में एक नोटिफिकेशन जारी कर बीएड डिग्रीधारकों को भी REET लेवल प्रथम के लिए योग्य माना था। एनसीटीई ने यह भी कहा था कि अगर बीएड डिग्रीधारी लेवल-1 में पास होते हैं, तो उन्हें नियुक्ति के साथ 6 माह का ब्रिज कोर्स करना होगा। एनसीटीई के इस नोटिफिकेशन को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। बीएड डिग्रीधारियों ने भी खुद को REET लेवल प्रथम में शामिल करने को लेकर याचिका लगाई। इस पर फैसला नहीं हो पाया। राजस्थान सरकार ने REET 2021 का नोटिफिकेशन जारी किया, तो उसमें बीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को इस शर्त के साथ परीक्षा में बैठने दिया कि आखिरी फैसला हाईकोर्ट के निर्णय के अधीन रहेगा।

बीएड डिग्रीधारी हुए लेवल-1 से बाहर
26 सितंबर को REET का आयोजन हुआ। इसमें लेवल-1 में लगभग 9 लाख बीएड योग्यता रखने वाले अभ्यर्थी भी शामिल हुए। इसको लेकर बीएसटी अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया। मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। दोनों पक्षों की ओर से सुनवाई की गई। हाईकोर्ट के जज अकील कुरैशी और सुदेश बंसल की खंडपीठ ने गुरुवार के दिन फैसला सुनाया। कोर्ट ने एनसीटीई के नोटिफिकेशन को अव्यवहारिक बताते हुए बीएसटीसी अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला दिया। हाईकोर्ट के फैसले के बाद दोनों परीक्षा देने वाले करीब 9 लाख अभ्यर्थी लेवल-1 के लिए अयोग्य ठहरा दिए गए हैं।

हाईकोर्ट के फैसले का क्या होगा असर
कुल भर्ती 31 हजार पदों पर होनी है। इसमें 16 हजार पद लेवल-1 और 15 हजार के करीब लेवल-2 से भरे जाएंगे। कोचिंग एक्सपर्ट का तर्क है कि बीएड डिग्रीधारियों के लेवल-1 से बाहर होने के कारण लेवल-2 में कंपटीशन बढ़ जाएगा। लेवल-1 में कम मार्क्स लाने वाले अभ्यर्थियों को भी मौका मिलेगा, इसलिए कट ऑफ भी कम रहेगी।

शिक्षाविद डॉक्टर राघव प्रकाश ने दैनिक भास्कर को बताया कि इसका सीधा असर REET की कटऑफ पर भी पड़ेगा। लेवल-1 से बीएड अभ्यर्थियों को बाहर करने के बाद कटऑफ पहले के मुकाबले करीब 10 अंक कम रहेगा। लेवल-2 में अब कंपटीशन और ज्यादा बढ़ जाएगा और कटऑफ लगभग 10 अंक बढ़ सकता है। डॉ. राघव प्रकाश की मानें तो लेवल-2 अभ्यर्थी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। इसकी वजह से REET का रिजल्ट लेट हो सकता है।

विषय विशेषज्ञ धीर सिंह धाभाई के मुताबिक, बीएसटीसी अभ्यर्थियों को मिली राहत के बाद लेवल-1 का कट ऑफ 118 से 124 के बीच रह सकती है, जबकि लेवल-2 का कट ऑफ 128 से 132 के बीच रहने की संभावना है। यह पहले के मुकाबले पांच से आठ नंबर ज्यादा है। हालांकि कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि जनरल की कटऑफ 135 तक भी पहुंच सकती है।

सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी में बीएड अभ्यर्थी
रीट लेवल-1 में बीएड अभ्यर्थियों को शामिल करने के लिए याचिका लगाने वाले असलम चौपदार ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। ताकि प्रदेश के लाखों बीएड धारियों को एक मौका मिल सके। चौपदार ने कहा कि एनसीटीई की गाइडलाइन के बाद ही बीएड अभ्यार्थियों ने लेवल-1 की तैयारी शुरू की थी। अब परीक्षा के बाद बीएड धारियों के खिलाफ आए फैसले ने लाखों अभ्यर्थियों के सपनों पर पानी फेर दिया है।

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