बीकानेर। महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग तथा माइक्रोबायोलॉजिस्ट सोसाइटी, भारत के संयुक्त तत्वाधान में च्च्माइक्रोबायोलॉजी में वर्तमान चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएंज्ज् विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया । इस वेबिनार में ऑस्ट्रेलिया, बंगलादेश, पाकिस्तान, नेपाल, अर्मेनिआ, श्रीलंका सहित छह देशो के प्रतिनिधिओ ने भाग लिया । भारत के 23 राज्यों के 725 प्रतिभागियों ने इस वेबिनर में पंजीयन करवाया था । वेबिनार में अध्यक्षीय भाषण देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनोद कुमार सिंह ने कहा कि माइक्रोबायोलॉजी एक ऐसा विज्ञान है जो मानव और सभी जीवित प्राणियों के दैनिक जीवन को सीधे प्रभावित करता है और सूक्ष्मजीव पृथ्वी को रहने योग्य ग्रह बनाने के लिए जिम्मेदार है । उन्होंने कहा कि सूक्ष्म जीव हमारे लिए बहुत मायने रखते हैं क्योंकि वे हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करते हैं – वे हम में, हम पर और हमारे आसपास हर जगह हैं । वर्तमान कोविड महामारी की स्थिति में, विज्ञान का यह क्षेत्र मानव जाति के लिए वरदान साबित हुआ है ।
इस अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार मे देश व विदेश से ख्यातिनाम शिक्षाविदो व वैज्ञानिक ने बीज वक्ता के तौर पर व्याख्यान दिये जिनमे प्रमुख रूप से प्रो॰ अरविंद देशमुख, अध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजिस्ट सोसाइटी, इंडिया, प्रो॰ तांजिमा यासमीन, राजशाही विश्वविद्यालय, बांग्लादेश, प्रो. आशीष भटनागर, विभागाध्यक्ष, सूक्ष्मजीवविज्ञान विभाग, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर, प्रो. मोनिका भटनागर, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर, डॉ॰ सर्वेश सोनी, सीनियर साइंटिस्ट एंड फाउंडर डायरेक्टर, आर.एम.आई.टी. टेक्नालजी एंड एंटप्र्रिन्यरशिप नेटवर्क एंड क्लब, आर.एम.आई.टी विश्वविद्यालय, मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया व प्रो. प्रवीण गहलोत, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर थे। प्रो॰ अरविंद देशमुख ने ई-वेस्ट के निस्तारण मे सूक्ष्मजीवों के योगदान पर प्रकाश डाला तथा कहा कि भविष्य में सूक्ष्मजीवों प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेंगे । प्रो. आशीष भटनागर ने मानव गतिविधियों के कारण उत्पन्न पारिस्थिकी असंतुलन को सूक्ष्मजीव के कारण आने वाली आपदाओं के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार बताया । बांग्लादेश की प्रो॰ तांजिमा यासमीन ने कोरोना वाइरस व इसके कारण उत्तपन्न वैश्विक परिस्थितियों तथा चुनौतियां पर प्रकाश डाला गया । प्रो. मोनिका भटनागर ने थार रेगिस्तान मे पाएँ जाने वाले सूक्ष्म शैवालो व अन्य सूक्ष्मजीवों के कृषि, चिकित्सा, बायो फ्यूल, जैव उपचार आदि मे उपयोगिता तथा अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला। डॉ सर्वेश सोनी ने बताया की वे माइक्रोबियल टेक्नोलोजी तथा नैनोटेक्नोलोजी के अनुप्रयोग से पानी के शुद्धिकरण के विषय में कार्य कर रहे है । इस कार्य को ऑस्ट्रेलिया के सरकार ने अति महत्वपूर्ण मानते हुए कई करोड़ डॉलर का अनुदान दिया है । प्रो. प्रवीण गेहलोत ने रोगकारक कवको के उपचार में खेजड़ी से प्राप्त प्रोटीन के उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी ।
वेबिनार के आरंभ में विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार छंगानी ने सभी वक्ताओ तथा प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए जीव मात्र तथा पर्यावरण में सूक्ष्मजीवो के महत्व को प्रतिपादित किया । विभाग के डॉ गौतम कुमार मेघवंशी ने वेबिनार के उद्देश्यों तथा महत्व पर प्रकाश डाला। इस वेबिनार के दौरान प्रतिभागियों ने ई – पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया । विज्ञान संकाय के डीन प्रो. राजाराम चोयल तथा प्रो प्रवीण गहलोत ने पोस्टर प्रतियोगिता में निर्णायकों की भूमिका का निर्वहन किया । प्रतियोगिता में आनंद कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात के सुब्रत हती ने प्रथम, म.ग.सि. विश्वविद्यालय के एजाज अहमद द्वितीय तथा नार्थ ईस्टर्न हिल विश्वविद्यालय मेघालय के सुजीत दास तृतीय स्थान प्राप्त किया । कार्यक्रम का संचालन डॉ. धर्मेश हरवानी ने किया । कार्यकम के अंत में वेबिनार के आयोजन सचिव डॉ अभिषेक वशिष्ठ ने वक्ताओ तथा प्रतिभागियों का धन्यवाद् ज्ञापित किया ।