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बीकानेर, वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र से शिष्टाचार भेंट की एवं विश्वविद्यालय की शिक्षा, प्रसार एवं अनुसंधान प्रगति से अवगत करवाया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. गर्ग ने राज्यपाल श्री कलराज मिश्र को विश्वविद्यालय के दो नवीन प्रकाशन ‘राजुवास विजन-2030‘ एवं विश्वविद्यालय के पशुविज्ञान केन्द्रों के नवाचारों से खुशहाल हुए पशुपालकों के ‘सफलता की कुछ कहानियां‘ की प्रतियां भेंट की। गौरतलब है कि वेटरनरी विश्वविद्यालय ने अतीत में किए गए कार्यों के व्यापक मूल्यांकन एवं भावी चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए आगामी दस वर्षों में किए जाने वाले कार्यों का रोड़मेप तैयार किया है जो कि विश्वविद्यालय के शिक्षा, प्रसार, अनुसंधान, वित्तीय सुद्दढ़ीकरण एवं पशुपालक एवं पशुकल्याण के दायित्वों के निष्पादन में मार्गदर्शक का कार्य करेगा। वेटरनरी विश्वविद्यालय नियमित रूप से पशुपालकों के ज्ञान एवं कौशल विकास हेतु प्रशिक्षणों एवं प्रसार कार्यक्रमों का आयोजन करता है। विश्वविद्यालय के प्रयासो से बहुत से पशुपालकों ने स्वरोजगार की धारा से जुड़कर अपना आर्थिक उत्थान किया है। ‘सफलता की कुछ कहानियां‘ प्रकाशन में पशु विज्ञान केन्द्रों के नवाचारों से लाभान्वित हुए पशुपालकों की सफलता का विवरण है। इस अवसर पर सुबीर कुमार, सचिव, राज्यपाल भी मौजूद रहे।

राजुवास ई-पशुपालक चौपाल का आयोजन
खनिज लवणों से बढ़ सकती है पशुओं में वृद्धि, उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता

बीकानेर 24 नवम्बर। वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा राज्य स्तरीय ई-पशुपालन चौपाल बुधवार को आयोजित की गई। पशु आहार में खनिज लवणों का महत्व विषय पर विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार सावल ने पशुपालकों से वार्ता की। निदेशक प्रसार शिक्षा प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने विषय प्रवर्तन करते हुए बताया कि अधिकांश पशुपालक जागरूगता के अभाव के कारण पशुओं को संतुलित आहार एवं नियमित खनिज लवण नहीं खिलाते है जो कि पशुओं में वृद्धि दर में कमी के साथ-साथ उत्पादन में भी कमी का कारण बनता है एवं पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है अतः खनिज लवण मिश्रण की पशु आहार में नितान्त आवश्यकता है। आमंत्रित विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार सावल, प्रधान वैज्ञानिक, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि पशुओं में शारीरिक वृद्धि एवं दुग्ध, मांस, ऊन उत्पादन हेतु भोजन के आवश्यक घटक कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा के अलावा खनिज लवणों की बहुत आवश्यकता रहती है। पशुपालक सामान्यतः पशुओं को संतुलित आहार नहीं खिलाते है जिसके कारण पशुओं में खनिज लवणों की कमी से पशुओं में विभिन्न लक्षण जैसे शारीरिक वृद्धि में कमी, पाचन क्षमता में कमी, प्रजनन क्षमता में कमी, दुग्ध उत्पादन में कमी आदि मुख्य लक्षण दिखाई देते है। खनिज लवण मिश्रण को भारतीय मानक ब्यूरो के मापदण्डों के अनुसार विभिन्न खनिज लवणों को आवश्यकतानुसार निश्चित अनुपात में मिलाकर तैयार किया जाता है अतः पशुपालकों को बड़े पशुओं जैसे गाय-भैस को 20-25 ग्राम प्रतिदिन एवं छोटे पशु जैसे भेड़ एवं बकरी को 5-10 ग्राम प्रतिदिन के हिसाब से बांटे या चारे में खिलाएं। खनिज लवण मिश्रण के साथ-साथ पशुओं को थोड़ी मात्रा में नमक अवश्य उपलब्ध करवाएं। इससे पशुओं में समय पर शारीरिक वृद्धि के साथ-साथ उन्नत प्रजनन एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है जिससे पशुपालकों को आर्थिक लाभ मिलता है।

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