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जयपुर। देश, विदेश मे कोरोना महामारी की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है और इसके गंभीर परिणाम भी अब सामने नजर आ रहे है। देश मे बरती जा ही लापरवाही बरतने के चलते कोरोना लगातार अपने पांव पसार रहा है। मंगलवार को देश के तीन राज्य राजस्थान, पंजाब, उड़ीसा में एक ही दिन में 80 से अधिक छात्र-छात्राएं कोरोना संक्रमित पाए गए है। जिससे देशभर में सनसनी फैल गई और हड़कम्प मच गया। अकेले उड़ीसा के सुंदरनगर जिले में 53 छात्राएं संक्रमित पाई गई है, वही पंजाब के मनसा जिले में 14 और राजस्थान के जयपुर में 12 व अजमेर जिले में 1 छात्र कोरोना से संक्रमित पाए जाने से अभिभावकों में चिंता का माहौल उतपन्न हो गया है। कोरोना को लेकर बढ़ते मामले देख अभिभावकों के संगठन संयुक्त अभिभावक संघ ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रीयों से कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों पर गंभीरता बरतने की अपील करते हुए ” स्कूलों को बंद करने सहित स्कूलों में अनिवार्यता के साथ ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने के निर्देश ” देने की मांग की है। इस संदर्भ में संयुक्त अभिभावक संघ ने देश के प्रधानमंत्री, शिक्षा मंत्री सहित राजस्थान के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है।

संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि ” केंद्र और राज्य सरकारों को कोरोना की तीसरी लहर को लेकर जल्द से जल्द ठोस निर्णय लेने होंगे, एक रिपोर्ट के मुताबित पिछले 20 दिनों में देशभर में जहां भी स्कूल खुले है वहां से अब तक एक हजार से अधिक छात्र-छात्राएं कोरोना की चपेट में आ चुकी है। हालात बद से बदतर ना बने इसको लेकर केंद्र और राज्य की सरकारों की आपसी राजनीति छोड़कर आमजन के हितों को ध्यान में रखकर गंभीरता दिखानी होगी। अगर गंभीरता नही दिखाई गई तो दूसरी लहर से भी अधिक बुरे परिणाम देश को भोगने होंगे। सरकारों को तत्काल संज्ञान लेकर स्कूलों को 50 फीसदी कैपेसिटी के चलाने के निर्देश देने के साथ-साथ अनिर्वायता के साथ ऑनलाइन कक्षाएं को पुनः प्रारम्भ करने के निर्देश देने चाहिए।

संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि राज्य सरकार ने बिना अभिभावकों और छात्र-छात्राओं से सुझाव लिए, निजी स्कूलों के दबाव में और अंतराष्ट्रीय मैच की वाह-वाही बटोरने को लेकर 15 नवम्बर से पूरी क्षमता के साथ स्कूलों को खोलने के निर्देश दिए, ना ही राज्य सरकार ने स्कूलों को लेकर जारी की गई एसओपी की पालना सुनिश्चित करवाई और ना ही दीपावली के बाद से लगातार बढ़ते कोरोना के मामलों को लेकर कोई समीक्षा की, आनन-फानन में मुख्यमंत्री और राजस्थान सरकार ने स्कूलों सहित कॉलेज, कोचिंग संस्थानों और शादी समारोह में पूरी क्षमता के साथ खोलने की इजाजत देकर कोरोना महामारी की तीसरी लहर के लिए दरवाजे खोल अभिभावकों और छात्र-छात्राओ को मौत की खाई के किनारे पर लाकर खड़ा कर दिया। राज्य सरकार द्वारा बरती गई लापरवाही का ही परिणाम है कि लम्बे अंतराल के बाद ढाई वर्षीय बालिका की कोरोना के चलते मौत देखने को मिली। यही नही यूरोपियन देश को लेकर विश्व हेल्थ एसोसिएशन ने स्पष्ट तौर एडवाइजरी जारी करते आशंका व्यक्त की है कि ” यूरोपियन देशों में अगले दो सप्ताह में 7 लाख से अधिक लोगों की कोरोना से मौत होने की संभावना जताई है। ” हालांकि इस एडवाइजरी में फिलहाल भारत को अलग रखा है।

*प्रदेश के स्कूलों में एसओपी की पालना सहित कोरोना की जांच का दायरा बढ़ाये एवं स्कूलों की क्षमता 50 फीसदी करने के साथ-साथ ऑनलाइन व ऑफलाइन का विकल्प उपलब्ध करवाए सरकार*

संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार को प्रदेश को कोरोना महामारी की तीसरी लहर से बचाने के लिए स्कूलों को लेकर सख्त निर्देश देने चाहिए, सरकार अपने निर्देश में सर्व प्रथम स्कूलों की जांच और एसओपी की पालना के लिए समितियां गठित करे, स्कूलों में कोरोना की जांच बढ़ाई जाने के साथ-साथ स्कूलो को केवल 50 फीसदी क्षमता के साथ खोलने के निर्देश एवं स्कूलों को अनिवार्यता के साथ ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाओं का विकल्प उपलब्ध करवाने के निर्देश देने चाहिए।

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