जयपुर। सोमवार, 15 नवम्बर से राज्य सरकार ने पूरी क्षमता के साथ स्कूलों को खोलने के निर्देश देने के बाद से ही लगातार स्कूलों में कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफा देखा जा रहा है, जिसके चलते प्रदेश के अभिभावकों में भय का माहौल उप्तन्न हो गया है। अभिभावकों के संगठन संयुक्त अभिभावक संघ ने राज्य सरकार से मांग की है कि ” जल्द से जल्द स्कूलों को अनिवार्यता के साथ ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने के निर्देश जारी कर अभिभावकों को ऑप्सन उपलब्ध करावे “। सोमवार को जयपुर के जयश्री पेड़ीवाल स्कूल महापुरा रोड सहित कुल 11 मामले और अजमेर के सोफिया स्कूल में 1 छात्रा कोरोना संक्रमित पाए गए। बीकानेर में भी 1 आया है जिसके बाद से अभिभावकों में हड़कम्प मच गया है।
संघ प्रदेश कोषाध्यक्ष सर्वेश मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के अभिभावकों सहित छात्र-छात्राओं के जीवन से खिलवाड़ करते हुए स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थानों और शादी समारोह को पूरी क्षमता के साथ खोलने की इजाजत देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। 15 नवम्बर को पूरी क्षमता के साथ खुले स्कूलों में पहले ही दिन 3 मामले सामने आए, अगले ही दिन 16 नवम्बर को 1 मामला फिर सामने आया, उसके बाद बुधवार 17 नवम्बर को भी आठ मामले सामने आए किन्तु सत्ता और प्रशासन ने मामले को दबाने के चलते सिर्फ 1 मामला दिखाया। उसके बाद सत्ता फेरबदल और मंत्रिमण्डल का प्रोपोगंडा चला जिसके चलते कोरोना महामारी पर ध्यान ही नही दिया गया, जैसे ही सत्ता फेरबदल संम्पन हुआ उसके बाद सोमवार 22 नवम्बर को जयश्री पेड़ीवाल स्कूल में पढ़ने वाली 11 वीं कक्षा की छात्रा सहित कुल 11 स्कूली बच्चों में कोरोना संक्रमण पाया गया और एक मामला अजमेर के सोफिया स्कूल में पाया गया। यह वो मामले है जिनकी पुष्टि की गई है प्रदेश में ऐसे भी अनगिनत मामले है जिनको सार्वजनिक नही किया गया। राजस्थान सरकार सत्ता और प्रशासन का बखूबी इस्तेमाल कर प्रदेश में कोरोना की जांच भी बन्द कर दी है और आंकड़ो में भी हेर-फेर कर आमजन में डर का माहौल बना दिया है।
*कोरोना के मामले सामने आने के बावजूद निजी स्कूल बच्चों को स्कूल आने का बना रहे है दबाव*
प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य चन्द्रमोहन गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले सात दिनों में अब तक प्रदेशभर के स्कूलों में 2 दर्जन से अधिक मामले सामने आ चुके है, उसके बावजूद निजी स्कूल छात्राओ और अभिभावकों पर स्कूलों में आने का दबाव बना रहे है। जबकि कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों से छात्र-छात्राएं ही नही बल्कि अभिभावकों में भी डर का माहौल बन चुका है और अब अभिभावक वापस ऑनलाइन कक्षाओं के जरिये बच्चों की पढ़ाई करवाना चाहते है। अभिभावकों की मांग है कि राज्य सरकार जल्द से जल्द स्कूलों को अनिर्वायता के साथ ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प उपलब्ध करवाए। बढ़ते कोरोना के मामलों को ध्यान में रखकर स्कूलों को फिलहाल बन्द कर दिया जाए।
*निवर्तमान शिक्षा राज्यमंत्री ने बनाया प्रदेश में भय का माहौल, एक तरफ खोदा कुआं तो दूसरी तरफ बनाई खाई*
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि निवर्तमान शिक्षा राज्यमंत्री के गैरजिम्मेदार बयान ने अभिभावकों के बीच डर का माहौल बनाया, शिक्षा राज्यमंत्री रहते गोविंद सिंह डोटासरा ने ऑनलाइन कक्षाओं के लिए कहा था कि यह स्कूल और अभिभावकों के बीच का मसला है, मंत्री के इस बयान का निजी स्कूलों ने फायदा उठाते हुए अभिभावकों पर अनैतिक दबाव बनाया। गोविंद सिंह डोटासरा के गरजिम्मेदारा रवैये के चलते अभिभावकों को एक तरफ कुएं में धकेला जा रहा है तो दूसरी तरफ स्कूलों के जरिये खाई में धकेला जा रहा है। सत्ता और प्रशासन में कही भी अभिभावकों की कोई सुनवाई नही हो रही। राजस्थान सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत निजी स्कूलों की कठपुतली बन अभिभावकों के जीवन को अंधकार में और छात्र-छात्राओं के भविष्य को कुचने का काम कर रही है।