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बीकानेर,21 नवम्बर को राजस्थान में कांग्रेस मंत्रिमंडल का प्रनर्गठन हो गया। अब मंत्रिमंडल में कोई पद खाली नहीं है कुछ लोगों का मानना है कि मंत्री नही बनाए जाने से अनेक निर्दलीय विधायक नाराज है। राजस्थान मंे 200 में 13 निर्दलीय विधायक है और ये सभी कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहें हैं। मंत्रिमण्डल के पुनर्गठन के तुरन्त बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 6 विधायकों को अपना सलाहकार नियुक्त कर मंत्री पद का दर्जा दे दिया। इनमें से 3 निर्दलीय विधायक है इसल में मुख्यमंत्री गहलोत को विधायकों को खुश रखने की तरकीब आती है। मंत्रीमंडल का पुनर्गठन तो तीन वर्ष बाद हुआ है। यानी तीन वर्ष तक निर्दलीय विधायकेां के साथ बसपा छोड कर आज 6 विधायक भी संतुष्ठ थे। गहलोत ने अपनी चतुराई से बीटीपी कम्युनिस्ट आदि छोटी पार्टियों के पांच-सात विधायकों का समर्थन भी हासिल कर रखा है। असल में निर्दलीय विधायकों के लिए मंत्रीपद से ज्यादा महत्व अपने निर्वाचन क्षेत्र मंे अधिकारियों की पोस्टिंग होती है। सीएम गहलोत ने निर्दलीय विधायकों की सिफारिश से ही उनके क्षेत्र में एसडीओ, डीएसपी, थानेदार, तहसीलदार, डाक्टर, इंजीनियर, आदि नियुक्त किए है इन नियुक्तियों का निर्दलीय विधायक पूरा फायदा उठा रहे है। कांग्रेस के विधायक भले ही अपने क्षेत्रों में पसन्दीदा अधिकारी नियुक्ति नहीं करवा पा रहे हों लेकिन निर्दलीय विधायकों का रुतबा कांग्रेस विधायकों से भी ज्यादा है कौन सा निर्दलीय विधायक क्या चाहता है, यह सीएम गहलोत को पता है पिछले तीन वर्षाे में सीए गहलोत निर्दलीय विधायकों की इच्छाओं से वाकिफ हो गए है यही स्थिति बसपा से आए 6 विधायकों की है भले ही 6 विधायकों में से 1 विधायक को मंत्री बनाया हो, लेकिन शेष पांच भी अपनी अपनी इच्छाओं की वजय से गहलोत के साथ चिपके रहेंगे। अभी तो संसदीय सचिवों और निगम बोर्ड प्राधिकरण आदि में भी नियुक्ति होती है जिन विधायकों को मंत्री नही बनाया गया है उन्हे लाभ का पद देकर खुश रखा जाऐगा। गहलोत के शासन में सरकार को समर्थन देने वाला कोई भी विधायक नाराज नही हो सकता। हालांकि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के संतुष्ठ हो जाने के बाद कांग्रेस को निर्दलीय और बसपा वाले विधायकों के समर्थन की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी सीएम गहलोत ऐसे विधायकों को अपने सीने से चिपकाए रखेगें, क्योंकि अगले वर्ष जुलाई में राज्य सभा की चार सीटों के लिए चुनाव होने है।
विधायक बने मुख्यमंत्री के सलाहकार:-
हालांकि 6 विधायकों को मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त कर दिया है लेकिन सवाल उठता है कि क्या विधायकों को मुख्यमंत्री की सलाहकार नियुक्त किया जा सकता है? जानकारों के अनुसार राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में वर्ष 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विश्वेन्द्र सिंह को अपना सलाहकार नियुक्त कर मंत्री पद का दर्जा दिया था, तब विश्वेन्द्र सिंह विधायक नहंी थें। यानी गैर विधायक को सलाहकार बनाया गया था। कहा जा रहा है कि जो विभाग मुख्यमंत्री के पास होगें, उनका कुछ काम सलाहकार बने विधायकों को सौंप दिया जाएगा, इससे ऐसे विधायकों के मंत्री बनने की ईच्छा भी पूरी हो जाएगी। सीएम गहलोत ने कहा भी है कि धैर्य रखने वालों को फल मिलता है और जब देने वाला अशोक गहलोत जैसा सीएम हो तो धैय रखना ही चाहिए गहलोत तो मुख्यमंत्री हो तो फिर विधायकों का धैर्य रखना ही चाहिए। गहलोत जो भाजपा विधायकों को भी मालामाल करने मंे पीछे नही है जयपुर के मान सरोवर में प्राईम लोकेशन पर 60 लाख रूपये की कीमत वाला फ्लैट 180 विधायकों को मात्र 30 लाख रूपयें में दिया है यानी तीन साल मंे 10 लाख रूपयें प्रति माह के हिसाब से भुगतान। राजस्थान मंे 200 विधायक है और 180 विधायकों ने फ्लैट प्राप्त किया है इससे मुख्यमंत्री की क्रय शक्ति का अंदाजा लगाया जा सकता है गत वर्षे जुलाई मंे सचिन पायलट के पास जाने वाले 18 विधायक 30 30 करोड रूपये मे बिके या नही इसका कोई सबूत नही है लेकिन विधायकों को 60 लाख रूपयो का फ्लैट 30 लाख रूपये में दिया गया है इसका सबूत जग जाहिर है। विधायकों को सलाहकार नियुक्त किये जाने को लेकर अदालत में याचिका दायर करने की तैयारी भी हो रही है।

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