जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार आगामी विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियों का भले ही शंखनाद कर दिया हो, किन्तु प्रदेशभर के अभिभावकों में अभी भी प्रदेश सरकार को लेकर निराशा का माहौल है। संयुक्त अभिभावक संघ ने मंत्रिमंडल फेरबदल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ” मंत्रिमंडल फेरबदल मुख्यमंत्री की मजबूरी है या महत्वकांशा है, उससे अभिभावकों को न्याय मिलता नही दिख रहा है। मुख्यमंत्री ने नए शिक्षा मंत्री के तौर पर बीड़ी कल्ला को जिम्मेदारी दी है जिनसे अभिभावकों को बहुतसी आशाएं है। आशा करते है शिक्षा मंत्री बीड़ी कल्ला अभिभावकों की मांगों और समस्याओ का निस्तारण करेगे। निवर्तमान शिक्षा राज्य मंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने अभिभावकों को घोर निराशा दी, पहली बार इतनी बड़ी संख्या में प्रदेशभर के अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानियों के खिलाफ सड़कों पर उतरे, अभिभावकों ने डोटासरा के शिक्षा राज्यमंत्री रहते सीधे शिकायतें दर्ज करवानी चाही किन्तु हर बार डोटासरा ने अभिभावकों का असम्मान किया, डराने-धमकाने का काम करने के साथ-साथ अपनी पद और प्रतिष्ठा की धौस दिखा अभिभावकों को खदेड़ने का कार्य किया। नए शिक्षा मंत्री से हम आशा करते है कि वह निर्वतमान शिक्षा राज्यमंत्री के व्यवहार को वापस ना दोहराकर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के सुधार में अपना योगदान देंगे। बीड़ी कल्ला को अभी प्रभार मिला है तो थोड़ा वक्त जरूर लगेगा किन्तु अगर उसके बावजूद भी अभिभावकों की समस्याओं का निस्तारण नही हुआ तो अभिभावकों को मजबूरन पुनः सड़कों पर उतरकर राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ेगा।
संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि अभिभावकों को नए शिक्षा मंत्री बीड़ी कल्ला से बहुतसी आशाएं है, अभिभावकों को उम्मीद है जो अब तक शिक्षा राज्यमंत्री के कार्यकाल में होता आया वह नए शिक्षा मंत्री के कार्यकाल में नही होगा। प्रदेश के अभिभावकों को ऐसा शिक्षा मंत्री चाहिए जो सब की सुने, केवल निजी स्कूलों की कठपुतली बन एकतरफा फैसले ले अभिभावकों पर ना थोपे। वर्तमान समय मे अभिभावकों की सबसे बड़ी मांग सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करवाने एवं फीस एक्ट 2016 को लागू करवाने की है। अभिभावकों को आशा है कि इन दोनों के लागू होने से स्कूली शिक्षा में पारदर्शिता आएगी और शिक्षा के प्रति अभिभावकों और स्कूलों के आपसी रिश्तों में बेहतर सुधार होने के साथ-साथ शिक्षा के काफी क्षेत्रों में भी बदलाव देखने को मिलेगा।
*स्कूल फीस, आरटीई एडमिशन, ऑनलाइन-ऑफलाइन कक्षाएं, सरकारी और निजी स्कूलों में अध्यापकों के अत्याचारों से अभिभावक लगातार प्रताड़ित हो रहा है*
संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि पिछले डेढ़ सालों में जब से कोरोना काल प्रारम्भ हुआ तब से अब तक स्कूली शिक्षा में काफी चीजो में स्कूलों की मनमानियां देखने को मिले, जिसको लेकर प्रदेश का अभिभावक वर्षो से परिचित ही नही था। इसमे सबसे बड़ा मामला निजी स्कूलों की फीस वसूली का था जिसे स्कूल संचालक अपने मनमाने तरीके से वसूलता था, जबकि वर्ष 2016 में फीस एक्ट बना और वर्ष 2017 में वह लागू हो गया किन्तु आज दिनांक तक उसकी पालना ही सुनिश्चित नही करवाई गई। ठीक इसी प्रकार राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना नही करवाई जा रही है। अभी वर्तमान समय मे अभिभावकों की सबसे बड़ी समस्या स्कूल फीस, आरटीई एडमिशन, ऑनलाइन-ऑफलाइन कक्षाएं, सरकारी और निजी स्कूलों में अध्यापकों के अत्याचार के मामले है जो अभिभावकों को ना केवल प्रताड़ित कर रहे बल्कि अभिभावकों को शर्मशार होने पर भी मजबूर कर रहे है।
*बीड़ी कल्ला से मांगेंगे मिलने का वक्त*
संघ महामंत्री संजय गोयल ने कहा कि अभिभावकों की समस्याओं के निस्तारण के लिए संयुक्त अभिभावक संघ का प्रतिनिधि मंडल शिक्षा मंत्री बीड़ी कल्ला से मिलने का वक़्त मांगेगा। मंगलवार को ही संघ द्वारा शिक्षा मंत्री बीड़ी कल्ला को पत्र भेज दिया जाएगा। इससे पूर्व संयुक्त अभिभावक संघ शिक्षा मंत्री का अभिभावकों की ओर से स्वागत-सम्मान कार्यक्रम भी करेगा। नए शिक्षा मंत्री बनने पर संयुक्त अभिभावक संघ बीड़ी कल्ला को शुभकामनाएं और बधाई देते है।