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जयपुर अगर आपके पास कोई पुराना मोबाइल फोन है और आप उसे किसी अनजान व्यक्ति को बेचने की सोच रहे हैं तो ऐसी गलती बिल्कुल न करें। दरअसल, साइबर अपराधियों का गैंग देशभर में सक्रिय है और गली-मोहल्लों में पुराने मोबाइल के बदले बर्तन,ड्राई फूट, जीरा या अन्य वस्तुएं दे रहे हैं, लेकिन मोबाइल बेचने की न कोई लिखा-पढ़ी की जा रही है और न ही इसका बिल दिया जा रहा है। आपका मोबाइल किसे बेचा जाएगा, इसकी जानकारी भी आपके पास नहीं होगी। साइबर अपराधी पुराने मोबाइल फोन को ठीक कर ऑनलाइन ठगी आदि के काम में ले रहे हैं। जांच के बाद पुलिस उस शख्स को पकड़ती हैं जिसके नाम पर मोबाइल शोरूम से खरीदा गया है या फिर जिसके नाम से मोबाइल का इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (आइएमईआइ) नंबर है। इस प्रकार फेरी वालों को बेचा गया 200 से 500 रुपए का मोबाइल आपको सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है। लिहाजा, फेरी वाले को अपना मोबाइल बेचने से पहले उसके आधार कार्ड या वोटर आइडी की फोटो प्रति जरूर लेवें। दस्तावेज नहीं होने पर पुलिस मोबाइल मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

अपराध हुआ तो जिम्मेदार होंगे आप

केस-1,जयपुर में तत्कालीन डीसीपी अमृता दुहान की टीम ने चोरी के मोबाइल रखने वाले सन्नी व नवरतन बावरिया को पकड़ा था। सन्नी से 9 और नवरतन से 8 मोबाइल बरामद हुए। पूछताछ में दोनों ने बताया कि उन्होंने ये मोबाइल कबाड़ से निकाल कर सही करवाए थे। ये उन्हें बेच देते हैं।

केस- 2,कोलकाता में बड़ा बवाली से पहले तीन पुराने मोबाइल फेरी वाले को बेचकर कुछ बर्तन खरीदे थे। 10 दिन बाद उनके एक मोबाइल से साइबर ठगी की गई। पुलिस जब पूछताछ करने पहुंची, तब उन्होंने पूरी बात बताई। साइबर ठगों की लोकेशन भरतपुर (राजस्थान) बताई गई।

दूसरे राज्यों से आते हैं फेरी वाले

साइबर अपराधियों से जुड़े 90 फीसदी फेरी वाले दूसरे राज्यों से आते हैं। ये पुराने मोबाइल खरीदकर उन्हें सही कर फिर से एक्टिवेट कर साइबर ठगी में इस्तेमाल करते हैं।

सेल एग्रीमेंट होना आवश्यक

मोबाइल में आइएमईआई नंबर अहम होता है। इसी के आधार पर क्राइम होने पर पुलिस अपराधी की लोकेशन ट्रेस करती है। मोबाइल बेचते समय सेल एग्रीमेंट या कोई आइडी जरूर लें, क्योंकि अपराधी फर्जी आइडी से सिम एक्टिवेट कर अपराध को अंजाम दे सकते हैं। आयुष भारद्वाज, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट

मोबाइल के कर दें टुकड़े-टुकड़े

डिजिटल सिक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन वी राजेन्द्रन ने बताया, ऐसे अपराध से बचने का कोई सटीक उपाय नहीं है। बेहतर यही होगा कि आपने जिस दुकान से मोबाइल खरीदा,उसको बैटरी निकालकर बेच दें।अपना मोबाइल तोड़ दें ताकि आपका डेटा कोई न ले सके।

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