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बीकानेर,महाजन. पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर,हनुमानगढ़ व चूरू जिले के चालीस गांवों में सिंचाई सुविधा मुहैया करवाने के लिए 1984 में साहवा लिफ्ट नहर से 45 किमी लम्बी सूई वितरिका निकालने की कार्य योजना बनी थी। राजनैतिक व प्रशासनिक उदासीनता के चलते यह योजना अधर में लटक गई। जिससे हजारों बीघा कृषि भूमि सिंचित होने का सपना मृग मारिचिका बनकर रह गया है। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद एक फिर किसानों के

एक प्रतिनिधिमण्डल ने 2019 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर सूंई ब्रांच को पूर्ण करवाने की मांग उठाई थी लेकिन आज तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं होने से किसान मायूस ही है।

गौरतलब है कि वर्ष 1980 के दशक में सूई वितरिका से 79 हजार हैक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित बनाना प्रस्तावित कियागया था। साहवालिफ्ट से 2004 तक भावलदेसर, धानसिया हरिपुरा व जैतसीसर माइनर बनकर तैयार हो गए एवं इन माइनरों से 13 हजार 400 हैक्टेयर कृषि भूमि को

सिंचाई पानी भी उपलब्ध होने लगा लेकिन बाद में नेताओं व प्रशासन के बीचमामला उलझ जाने से काम अधूरा रह गया। इस नहर को पूर्ण करवाने के लिए तीनों जिलों के किसानों की संघर्ष समिति चार साल से आंदोलन कर रही है।

अधूरे हैं माइनर

योजना के तहत अधूरे रह गए माइनर के तहत बीस किमी दूरी में प्रस्तावित जैता, कुसुमदेसर, पल्लू, दल्लूसर, बरजासर, धनियासर, जैतपुर, पल्लू द्वितीय, सूंई, खोडाला व शेखसर

सहित कुल 15 माइनरों का निर्माण आज भी अधर में लटका हुआ है। इस वितरिका को बीच में रोकने से 65 हजार 600 हैक्टेयर कृषि भूमि के सिंचित होने का ख्वाब देख रहे नोहर, सरदारशहर व लूणकरनसर तहसील के 40 गांवों के किसानों के सपने मुरझा गए है। किसान संघर्ष समिति के नेताओं ने इस मामले को लेकर वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर वास्तविक स्थिति से अवगत करवाया था। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले में जल्द ही कार्यवाही आगे बढ़ाने का भरोसा दिलाया था लेकिन करीब दो साल बाद भी धरातल पर इस दिशा में कोई प्रगति नजर नहीं आने से किसानों को निराशा ही हाथ लगी है।

सूई ब्रांच के लिए किसान आंदोलनरत है। सरकार को इस मामले में किसानों के हित को देखते हुए फैसला लेना चाहिए। जब तक सूई ब्रांच का कार्य पूरा नहीं होगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

मनीराम टाण्डी, महासचिव सूई ब्रांच किसान संघर्ष समिति।

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