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बीकानेर सांझीवालता यात्रा समिति के द्वारा यात्रा के कार्यो को अन्तिम रूप दिया गया बताया गया कि कल शाम 19-11-2021 को शाम 7-30 बजे सांझीवालता यात्रा के रूप में सन्तों बीकानेर की धरा पधारेगें साथ ही उनके आर्शीवचन बीकानेर की जनता को सुनने के लिए मिलेगें।

यात्रा के संयोजक श्री जेठानन्द व्यास ने आज बताया कि ‘मीरा चली सद्गुरू के धाम‘‘ के नाम से एक सांझीवालता यात्रा दिनांक 19 नवम्बर 2021 को स्थानीय खरनाडा मैदान में आ रही है। सर्व समाज के संतों की अगुवाई में निकाली जा रही स्थानीय समय शाम 7.00 बजे गंगाशहर, भीनाशहर में प्रवेश करेगी। जहंा पर इस यात्रा का आमजन की ओर से स्वागत किया जायेगा। उसके बाद यात्रा गंगाशहर से गोगासर्किल, रेलवे स्टेशन होती हुई खरनाडा मैदान में पंहुचेगी। जंहा पर रागी जत्थे व स्थानीय कलाकारों के द्वारा बाणीयों के माध्यम से भजन संध्या होगी।
उन्होने बताया कि इस यात्रा के साथ गुरू रविदास एंव मीराबाई के ऐतिहासिक चिन्ह रहेगें जो इस यात्रा के साथ बीकानेर पंहुच रहे है। छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध बीकानेर में इन ऐतिहासिक चिन्होें जिनमें गुरू महाराज का चाँदी का आसन, खड़ांव, मीरा बाई का एक तारा, गुरू साहिब का शंख, खडताल तथा चतुर्भुज नाथ जी की प्रतिमा आदि मुख्य मुख्य है, को देखने का चाव देखते ही बनता है। सांझीवालता यात्रा समिति के प्रमुख सदस्यों से इस सम्बन्ध में बार बार आमलोगों मोबाईल पर पवित्र चिन्हों के दर्शन के सम्बन्ध में अपनी उत्सुकता जाहिर कर रहे है।
यात्रा समिति के द्वारा बताया गया कि जो ऐतिहासिक चिन्ह बीकानेर पंहुच रहे है उनका दर्शन आमजन को सुगमता से हो सके इसके लिए प्रबन्ध किये गये है तथा श्रृद्धालूओं की भीड को देखते हुए आवागमन तथा निकासी की विशेष व्यवस्था की गई है। यह भी बताया कि सभी के लिए दर्शन निशुल्क रखे गये है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग दर्शन कर सकें।
श्री व्यास ने बताययात्रा के बारे में बताया कि यात्रा रात को बीकानेर में विश्राम करके सुबह 8-00 बजे खरनाडा मैदान से रवाना होकर बीकानेर शहर के मुख्य मार्गो यानि कोटगेट, सार्दुल सर्किल, तीर्थ स्तम्भ से होती हुई आगे लूनकरणसर की ओर प्रस्थान करेगा यह भी बताया कि संत समाज के निर्देशानुसार इस यात्रा में आने वाले समस्त संत बीकानेर के नागरीकों के घर पर रात्रि विश्राम करेगें।
श्री व्यास ने बताया कि समिति के द्वारा यात्रा के सम्बन्ध में कार्यकर्ताओं को व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी सौपीं गई तथा उनके कार्यो का वितरण किया गया।
पवित्र एकतारा, शंख, खडताल, माला, खडांऊ आदि जिनके आमजन को दर्शन होगें।

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